छत्तीसगढ़

अरुण वोरा की पहल से स्टेशनों पर कुलियों का प्रदर्शन समाप्त, रायपुर में DRM ने दिया आश्वासन — “बैटरी कार का उपयोग यात्रियों का लगेज ढोने के लिए नहीं होगा”

दुर्ग: रेलवे स्टेशनों पर वर्षों से यात्रियों की सेवा में जुटे कुली भाइयों की आजीविका पर मंडरा रहे संकट के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण वोरा ने संवेदनशील और सार्थक पहल कर उनके हक की रक्षा सुनिश्चित की।

 

पिछले कुछ दिनों से रायपुर, दुर्ग और भिलाई रेलवे स्टेशनों के कुली लगातार प्रदर्शन कर रहे थे।उनका कहना था कि रेलवे स्टेशन पर प्रस्तावित बैटरी ट्रॉली व्यवस्था यात्रियों का सामान ढोने के लिए उपयोग न की जाए, जिससे उनकी आजीविका और रोजगार सुरक्षित रहें। इस समस्या को लेकर दुर्ग स्टेशन के कुली ग्रुप वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व मंत्री पूर्व विधायक अरुण वोरा के निवास पहुँचे जहाँ वोरा ने उनकी समस्या को गंभीरता से समझते हुए उन्हें भरोसा दिलाया कि उनके हक के लिए यह मुद्दा मजबूती से उठाया जाएगा।

इसके बाद अगले दिन ही वोरा दुर्ग रेलवे स्टेशन पहुँचे और कुली ग्रुप के साथ स्टेशन प्रमुख से विस्तृत चर्चा की। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि किसी भी नई व्यवस्था का उद्देश्य लोगों की आजीविका छीनना नहीं, बल्कि सुविधा बढ़ाना होना चाहिए।

अपने वादे पर अमल करते हुए अरुण वोरा आज रायपुर रेलवे स्टेशन पहुँचे और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर मंडल के मंडल रेल प्रबंधक दयानंद से मुलाकात की। इस अवसर पर कुली भाइयों ने अपना पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें यह मांग की गई कि बैटरी कार का संचालन केवल असहाय यात्रियों के लिए हो और यात्रियों का लगेज ढोने के लिए इसका उपयोग न किया जाए। साथ ही उन्होंने यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि निविदा की शर्तों में यह संशोधन प्रमाणित रूप में जोड़ा जाए और भविष्य में इसे बदला न जाए। बताया जा रहा है कि कुल 10 बैटरी कार रेलवे प्रशासन द्वारा वर्तमान में दुर्ग, भिलाई, रायपुर स्टेशन के लिए प्रस्तावित है।

वोरा के साथ इस बैठक में दीप्तेश चटर्जी भी उपस्थित थे। मंडल रेल प्रबंधक दयानंद ने कुली भाइयों को आश्वस्त किया कि बैटरी कार का प्रयोग यात्रियों के सामान ढोने के लिए नहीं किया जाएगा। अगर कभी ऐसा पाया गया तो सीधे टेंडर ही कैंसल कर दिया जाएगा। इस आश्वासन के बाद कुली भाइयों ने राहत की सांस ली और कई दिनों से जारी अपने प्रदर्शन को समाप्त करने का निर्णय लिया।

वोरा की निरंतर पहल और संवेदनशील नेतृत्व के परिणामस्वरूप सैकड़ों कुली भाइयों की आजीविका सुरक्षित हुई। उनका यह प्रयास इस बात का प्रमाण है कि जब नेतृत्व ज़मीन से जुड़कर जनता की बात सुनता है, तो समाधान निश्चित रूप से निकलता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts