छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में नक्सल मोर्चे पर एक और महत्वपूर्ण सफलता मिली है। नक्सल संगठन को तगड़ा झटका देते हुए झीरम घाटी हमले के मुख्य साजिशकर्ता चैतू उर्फ श्याम दादा समेत 10 माओवादी कैडरों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। यह सरेंडर पूना मारगेम—पुनर्वास से पुनर्जीवन अभियान के तहत हुआ है।
इन कैडरों ने किया आत्मसमर्पण
इस सामूहिक आत्मसमर्पण में DKSZC के वरिष्ठ नेता चैतू उर्फ श्याम दादा भी शामिल हैं, जिन पर 25 लाख रुपये का इनाम था। इनके साथ जिन नक्सली सदस्यों ने सरेंडर किया, उनमें शामिल हैं—
सरोज (DVCM) – 8 लाख इनामी
भूपेश उर्फ सहायक राम (ACM)
प्रकाश, कमलेश उर्फ झितरु, जननी उर्फ रयमती, संतोष उर्फ सन्नू, नवीन
रमशीला और जयती कश्यप (PM)
सभी 10 के सिर पर कुल 65 लाख रुपये का इनाम घोषित था। बस्तर के शौर्य भवन में हुए कार्यक्रम में IGP, SP और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों का स्वागत किया और उन्हें संविधान की प्रति व अन्य सामग्री प्रदान की।
चैतू कौन है?
झीरम घाटी हमले का मुख्य आरोपी और नक्सल संगठन का बेहद प्रभावशाली चेहरा चैतू (असल नाम—गिरी रेड्डी पवन दा रेड्डी) नक्सली नेटवर्क में अत्यंत महत्वपूर्ण पद पर था। लगभग 60 वर्षीय चैतू दरभा डिवीजन का प्रभारी और DKSZC का वरिष्ठ सदस्य था। उसने आत्मसमर्पण के दौरान अपनी AK-47 रायफल भी पुलिस को सौंप दी। चैतू तकनीकी रूप से भी काफी सक्षम था और उसके पास टैबलेट, लैपटॉप, सोलर उपकरण, वॉकी-टॉकी व रेडियो जैसे एडवांस संसाधन मौजूद रहते थे।





