छत्तीसगढ़

माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में चल रहा ‘जीवन-रक्षा मिशन’

इस अभियान में रायपुर मेडिकल कॉलेज, डिमरापाल मेडिकल कॉलेज और कांकेर मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ मेडिकल छात्र-छात्राओं ने भी सक्रिय सहभागिता निभाई। इन शिविरों में चिकित्सकों की टीमों ने हजारों की आबादी वाले अंदरूनी गांवों में पहुँचकर स्वास्थ्य परीक्षण, उपचार और जागरूकता सेवाएं प्रदान कीं।

नारायणपुर, सुकमा और बीजापुर के सबसे कठिन इलाकों में सफल आयोजन
नारायणपुर जिले के ईरकभट्टी, बेड़माकोटी, कस्तूरमेटा और कांदुलपार, सुकमा जिले के दुलेड़, लखापाल, और बीजापुर जिले के गूंजेपर्ती, पुतकेल, कोंडापल्ली और मुतवेंडी जैसे बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में इन शिविरों का आयोजन किया गया। इन शिविरों के माध्यम से कुल 1324 ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और सभी को निःशुल्क दवाइयाँ व उपचार उपलब्ध कराया गया।

सघन स्वास्थ्य परीक्षण में मलेरिया, टीबी, सिकलसेल पर दिया गया विशेष ध्यान
संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं बस्तर डॉ. महेश शांडिल्य ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार इन शिविरों का उद्देश्य दूरस्थ वंचित ग्रामीणों को विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराना है। आवश्यकता अनुसार मरीजों को उच्च संस्थानों में रेफर भी किया गया। इन शिविरों में नारायणपुर में 367, सुकमा में 318, बीजापुर में 639 ग्रामीणों की ओपीडी जांच की गई। जिसमें 83 मलेरिया पॉजिटिव मामले प्राप्त हुए जिनका तत्काल उपचार प्रारम्भ किया गया। इसके साथ ही 207 की टीबी जांच, 464 ग्रामीणों की सिकलसेल व एनीमिया स्क्रीनिंग, 212 ग्रामीणों की नेत्र जांच के साथ 129 ग्रामीणों के लिए नवीन आयुष्मान कार्ड का निर्माण किया गया है।

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य दलों के कार्यों की सराहना की
अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में इन स्वास्थ्य शिविरों का सुरक्षाबलों के सहयोग और स्वास्थ्य अमले के दृढ़ संकल्प से सफल आयोजन की उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने सराहना की। उन्होंने कहा कि यह अभियान शासन और प्रशासन की बस्तर के आखिरी छोर में ग्रामीणों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाने के अपने संकल्प पर दृढ़ता को दर्शाता है।

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