यह कहानी संघर्ष, साहस और सतत् प्रयास की वह मिसाल है, जो यह सिद्ध करती है कि अगर हौसले बुलंद हों तो हालात चाहे जैसे भी हों, बदले जा सकते हैं। जिले की खड़गवां ब्लॉक के पोंडी बचरा गांव की रहने वाली चंदा यादव दीदी की कहानी आज पूरे जिले के लिए प्रेरणा बन चुकी है। कभी बेहद साधारण पारिवारिक परिस्थिति में जीने वाली चंदा दीदी आज न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि लाखों की उद्यमी भी बन चुकी हैं।
गरीबी की जंजीरों को तोड़ने का साहसिक फैसला
चंदा के पति विद्यानंद यादव खेती और मजदूरी करते थे। वार्षिक आमदनी मात्र 45 से 60 हजार रुपए थी। जिससे घर खर्च निकालना बेहद कठिन हो एक गृहिणी से लाखों की उद्यमी बनने तक का सफर किया साकारगया था।




