छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने सरकार पर उपेक्षा और दमनात्मक रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए राज्यभर में 22 से 24 दिसंबर तक तीन दिन की प्रांतव्यापी कलमबंद हड़ताल करने का निर्णय लिया है। यह फैसला 19 नवंबर को रायपुर में हुई कोर कमेटी की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया।
फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने बताया कि हाल के दिनों में प्रदेश के कई शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाइयों की निंदा करते हुए हड़ताल का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव और मानसिक प्रताड़ना बढ़ती जा रही है, विशेषतः धान खरीदी व्यवस्था में लगे कर्मचारियों पर।
धान खरीदी मामले में एफआईआर निरस्त करने की मांग
फेडरेशन ने मुख्य सचिव से मांग की है कि रायपुर कलेक्टर द्वारा धान खरीदी के नाम पर चार कर्मचारियों पर दर्ज की गई एफआईआर को तुरंत रद्द किया जाए। फेडरेशन का कहना है कि कृषि विभाग के सचिव पहले ही निर्देश दे चुके हैं कि धान खरीदी के दौरान कर्मचारियों पर अनुचित कार्रवाई न की जाए, इसके बावजूद दमनात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। फेडरेशन ने एक कर्मचारी की गिरफ्तारी को ‘काला कानून’ जैसा कदम बताते हुए कहा कि यह पूरे प्रदेश के कर्मचारियों में भय का माहौल पैदा करता है।
फेडरेशन की 11 सूत्रीय प्रमुख मांगें
1. केंद्र सरकार की तरह कर्मचारियों और पेंशनरों को देय तिथि से डीए लागू किया जाए।
2. डीए एरियर की राशि कर्मचारियों के जीपीएफ खाते में जोड़ी जाए।
3. सभी कर्मचारियों को चार स्तरीय समयमान वेतनमान प्रदान किया जाए।
4. विभिन्न संवर्गों (लिपिक, शिक्षक, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास आदि) की वेतन विसंगतियों को दूर करते हुए पिंगुआ कमेटी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
5. प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर समस्त सेवा लाभ दिए जाएँ।
6. पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाए।
7. सहायक शिक्षक और सहायक पशु चिकित्सा अधिकारियों को तृतीय समयमान वेतनमान मिले।
8. नगरीय निकाय कर्मचारियों को नियमित मासिक वेतन और समयबद्ध पदोन्नति दी जाए।
9. अनुकंपा नियुक्ति में 10% सीलिंग में शिथिलीकरण किया जाए।
10. प्रदेश में कैशलेस हेल्थ सुविधा लागू की जाए।
11. अर्जित अवकाश नगदीकरण की सीमा 300 दिन की जाए तथा दैनिक, अनियमित और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की नीति बनाई जाए।





