रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल पर बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत चैतन्य बघेल की करीब ₹61.20 करोड़ मूल्य की चल-अचल संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क की हैं।
सूत्रों के अनुसार, जब्त की गई संपत्तियों में 364 आवासीय और कृषि भूमि के प्लॉट शामिल हैं, जिनकी कीमत लगभग ₹59.96 करोड़ बताई जा रही है। इसके अलावा बैंक खातों और सावधि जमाओं में रखे ₹1.24 करोड़ भी ईडी ने जब्त किए हैं।
इस कार्रवाई के साथ ही शराब घोटाले से जुड़े मामलों में अब तक कुल ₹276.20 करोड़ की संपत्तियां कुर्क की जा चुकी हैं। इससे पहले भी एजेंसी कई व्यवसायियों, सरकारी अधिकारियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों की संपत्तियां जब्त कर चुकी है।
2500 करोड़ रुपए के स्कैम की जांच जारी
रायपुर की ACB/EOW द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर यह जांच शुरू हुई थी। जांच में खुलासा हुआ कि इस घोटाले से राज्य सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ और करीब ₹2500 करोड़ की अवैध कमाई कुछ चुनिंदा लोगों के पास पहुंची।
ED का आरोप: ‘लिकर सिंडिकेट’ के शीर्ष कंट्रोलर थे चैतन्य बघेल
ईडी का दावा है कि चैतन्य बघेल पूरे लिकर सिंडिकेट के मुख्य नियंत्रक के रूप में काम कर रहे थे। वे कथित तौर पर अवैध कमाई के हिसाब-किताब, वसूली और वितरण से जुड़े फैसले लेते थे। जांच में यह भी सामने आया कि बघेल को इस घोटाले से प्रत्यक्ष लाभ हुआ।
रियल एस्टेट में लगाया गया अवैध पैसा
ईडी के अनुसार, चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले से अर्जित धन को वैध दिखाने के लिए इसे अपनी रियल एस्टेट कंपनी ‘बघेल डेवलपर्स’ में निवेश किया। इसी अवैध धन से ‘विठ्ठल ग्रीन’ प्रोजेक्ट को विकसित किया गया।





