काली बिल्ली को समझा ब्लैक पैंथर, रायपुर घूमकर जंगल लौटी बिल्ली

रायपुर @ कांकेर जिले में एक अनोखा मामला सामने आया, जब राहगीरों ने बारिश में भीग रही काली बिल्ली को ब्लैक पैंथर या तेंदुए का शावक समझ लिया। मामला इतना गंभीर माना गया कि वन विभाग की टीम ने बिल्ली को रायपुर तक इलाज के लिए भेज दिया। जांच के बाद जब सच्चाई सामने आई तो सबकी जान में जान आई। बिल्ली अब रायपुर की सैर करके वापस जंगल लौट चुकी है।
बारिश में मिली एक "खतरनाक बिल्ली"
24 जुलाई को कांकेर जिले के अंतागढ़-दुर्गुकोंदल मार्ग पर आमागढ़ के पास कुछ राहगीरों ने तेज बारिश के बीच एक काले रंग के जानवर को सड़क किनारे कांपते हुए देखा। उसकी बनावट और रंग देखकर सभी को लगा कि यह तेंदुए का शावक है। कुछ लोगों को तो यह ब्लैक पैंथर का बच्चा तक लग रहा था। डर और चिंता के बीच राहगीरों ने साहस दिखाया, जानवर को सुरक्षित पकड़ा और वन विभाग को सूचना दी।
वन विभाग भी आया अलर्ट
तेंदुए के शावक या ब्लैक पैंथर की आशंका को देखते हुए वन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। जानवर को सुरक्षित कब्जे में लेकर उसे इलाज और देखभाल के लिए रायपुर स्थित पशु चिकित्सालय भेजा गया। टीम को भी शुरुआत में यही लगा कि मामला किसी दुर्लभ और खतरनाक वन्य प्राणी का है।
डॉक्टरों ने बताई सच्चाई, मिली राहत
रायपुर पहुंचने के बाद जब वन्यजीव विशेषज्ञों और डॉक्टरों की टीम ने जांच की, तो सच्चाई सामने आई। यह कोई तेंदुआ या ब्लैक पैंथर नहीं, बल्कि जंगली काली बिल्ली का बच्चा था। हल्की खरोंचों के अलावा उसे कोई बड़ी चोट नहीं थी। कुछ दिन की देखभाल और उपचार के बाद बिल्ली को पूरी तरह स्वस्थ घोषित कर दिया गया।
जंगल में हुई वापसी, लोगों ने किया मजाक भी
स्वस्थ होने के बाद वन विभाग ने बिल्ली को वापस कांकेर भेजा और एक सुरक्षित जंगल क्षेत्र में छोड़ दिया। इस घटना ने जहां शुरुआत में लोगों में दहशत फैलाई थी, वहीं अंत में यह एक रोचक किस्सा बन गया। ग्रामीणों ने मजाक में कहा कि "बिल्ली का भी नसीब अच्छा था, जो रायपुर की सैर कर आई।" कुछ लोगों ने यह भी जोड़ा कि हममें से कई तो आज तक राजधानी नहीं जा सके, लेकिन यह बिल्ली राजधानी घूमकर लौट आई।