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बीएमसी चुनाव कैसे बन गए राष्ट्रीय दिलचस्पी का अखाड़ा, क्यों हो रही ज़ोहरान ममदानी की चर्चा

मुंबई आखिरकार अगले साल बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के चुनाव के लिए तैयार है. बीएमसी चुनाव महज एक स्थानीय निकाय चुनाव नहीं, बल्कि इसका प्रभाव मुंबई की भौगोलिक सीमाओं से कहीं आगे राष्ट्रीय राजनीति के समीकरणों को प्रभावित करता है. यही कारण है कि यह राष्ट्रीय मीडिया के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु बना रहता है. लेकिन इस बार बीएमसी चुनाव की तुलना न्यूयॉर्क शहर के मेयर चुनाव से की जा रही है, जिसमें ज़ोहरान ममदानी विजेता के रूप में उभरे थे.
वित्तीय राजधानी पर शासन करने वाली पार्टी का राज्य में भी सत्ता में है. इस वजह से बीएमसी और न्यूयॉर्क मेयर चुनाव के बीच समानताएं पैदा होती हैं. हालांकि दोनों शहरों में मेयरों के चुनाव की प्रक्रिया या उनके पास मौजूद शक्तियों में कोई समानता नहीं है. लेकिन यह बात दिलचस्प है कि मुंबई की तुलना न्यूयॉर्क से की जा रही है.
एशिया का सबसे अमीर नागरिक निकाय
बीएमसी का वार्षिक बजट बहुत बड़ा होता है, जिसके कारण इस पर नियंत्रण पाने के लिए देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियां अपनी पूरी ताकत लगाती हैं. बीएमसी का बजट लगभग 75,000 करोड़ रुपये है, जो बेंगलुरु के निकाय से लगभग चार गुना अधिक है. वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बीएमसी ने 74,427 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है. यह बीएमसी को भारत का सबसे अमीर नगर निगम बनाता है. बीएमसी की सत्ता शिवसेना के लिए हमेशा से अस्तित्व की लड़ाई रही है. चुनाव में अक्सर स्थानीय नागरिक मुद्दों के बजाय पहचान, धर्म और विचारधारा से जुड़े बड़े मुद्दे हावी हो जाते हैं.

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