मध्य प्रदेश के IAS अधिकारी संतोष कुमार वर्मा की मुश्किलें उनके विवादित बयान के बाद बढ़ गई हैं। ब्राह्मण समाज को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध के बाद राज्य सरकार ने उनके खिलाफ आधिकारिक नोटिस जारी किया है। सरकार का कहना है कि वर्मा का बयान सामाजिक समरसता को चोट पहुंचाने वाला और आपसी वैमनस्य बढ़ाने वाला है, जो एक प्रशासनिक अधिकारी के आचरण के खिलाफ है।
सरकार ने क्या कहा?
सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से देर रात जारी नोटिस में वर्मा के 23 नवंबर को दिए गए भाषण का हवाला दिया गया है। नोटिस के मुताबिक वर्मा का यह बयान— “एक परिवार में एक व्यक्ति को आरक्षण तब तक मिलना चाहिए, जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान में न दे या उससे संबंध न बन जाए।” सीधे-सीधे अखिल भारतीय सेवाओं के आचरण नियमों का उल्लंघन है।
नोटिस में कहा गया है कि यह टिप्पणी सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाली है और अनुशासनहीनता तथा गंभीर कदाचार की श्रेणी में आती है। इसी आधार पर वर्मा को अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। वर्मा से 7 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है, अन्यथा एकतरफा कार्रवाई की जा सकती है।
पूरे विवाद की पृष्ठभूमि
23 नवंबर को भोपाल में अजाक्स (AJAKS) के प्रांतीय अधिवेशन में संतोष वर्मा ने यह विवादित बयान दिया था। उनका बयान सामने आते ही प्रदेशभर में ब्राह्मण संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने भी वर्मा की टिप्पणी की निंदा की है। बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस मुद्दे ने और तूल पकड़ लिया, जिसके बाद सरकार को नोटिस जारी करना पड़ा।




