

प्रधान महालेखाकार कार्यालय द्वारा आयोजित ऑडिट पखवाड़ा 2025 के अंतर्गत आज दिनांक 26.11.2025 को छत्तीसगढ़ राज्य के बजट नियंत्रक अधिकारियों, कोषालय अधिकारियों तथा आहरण एवं संवितरण अधिकारियों के लिए वित्तीय प्रबंधन एवं लेखा प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का शुभारम्भ माननीय वित्त मंत्री, श्री ओ. पी. चौधरी द्वारा औपचारिक उद्घाटन के साथ हुआ।
माननीय वित्त मंत्री जी ने अपने संबोधन में राज्य में वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और समयबद्ध लेखा कार्यों की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए और इसे सुशासन की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण पहल बताया। मंत्री महोदय ने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT), प्रधानमंत्री जनधन योजना, आधार-आधारित प्रमाणीकरण और डिजिटल वित्तीय सुधारों (JAM), ने देश की वित्तीय प्रणाली को पारदर्शी और सक्षम बनाने में ऐतिहासिक योगदान दिया है। DBT के माध्यम से सब्सिडी और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभ सीधे पात्र नागरिकों के बैंक खातों में पहुँचने लगे हैं, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई और leakages में भारी कमी आई। प्रधानमंत्री जनधन योजना ने वित्तीय समावेशन को नया आयाम देते हुए आमजन, गरीब परिवारों, मजदूरों और ग्रामीण आबादी को पहली बार औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जुड़ने का अवसर दिया। आधार आधारित e-KYC, e-authentication और डिजिटल भुगतान व्यवस्था ने लाभार्थियों की पहचान को आसान बनाया, सरकारी योजनाओं की डिलीवरी में गति और सटीकता आई तथा वित्तीय लेन-देन को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाया। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में आरम्भ किए गए इन वित्तीय सुधारों ने देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है और छत्तीसगढ़ सरकार भी इन्हीं सुधारों को आगे बढ़ाते हुए पारदर्शी, उत्तरदायी और लाभार्थी-केंद्रित वित्तीय प्रशासन के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्यक्रम के दौरान श्री यशवंत कुमार, प्रधान महालेखाकार ने अपने संबोधन में वित्तीय प्रशासन और लेखा-परीक्षा प्रणाली को अधिक कुशल और उत्तरदायी बनाने में लेखा एवं वित्त अधिकारियों (BCOs, TOs और DDOs) की भूमिका पर बल दिया, जिसमें राज्य शासन वित्त विभाग एवं महालेखाकार के आपसी समन्वय एवं पूरकता को रेखांकित किया। साथ ही लेखांकन एवं लेखा परीक्षा हेतु नए तकनीकी प्रयोग पर बल दिया।
कार्यशाला के विशिष्ट वक्ता, श्री विनोद कुमार लाल, सेवानिवृत्त वित्त नियंत्रक (लोक निर्माण विभाग), द्वारा वित्तीय नियंत्रण, लेखा प्रक्रियाओं, अनुपालन, और लेखा-परीक्षा से संबंधित विभिन्न विषयों पर विस्तृत एवं व्यावहारिक प्रस्तुति दी गई। उनकी प्रस्तुति को प्रतिभागियों द्वारा अत्यंत उपयोगी, सरल और ज्ञानवर्धक बताया गया, जिससे कार्यशाला की उपयोगिता और प्रभावशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
उसके उपरांत श्रीमती शीतल शाश्वत वर्मा, वित्त विभाग में विशेष सचिव ने अपने संबोधन में उपस्थित अधिकारियों से ऑडिट कंडिका का शीघ्र निराकरण पर तथा सुश्री पद्मिनी भोई साहू, संचालक, कोष एवं लेखा ने SNA-SPARSH विषय पर तथा इस तरह के कार्यशाला के महत्व और उपयोगिता पर बल दिया।
धन्यवाद प्रस्ताव सुश्री प्रियाति कौड़ो, वरिष्ठ उपमहालेखाकार एवं श्री एम. एस. डहरिया, वरिष्ठ उपमहालेखाकार द्वारा दिया गया। उन्होंने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों के साथ-साथ आयोजन टीम के सदस्यों के समर्पण और परिश्रम के लिए आभार व्यक्त किया, जिनकी सक्रिय भूमिका से यह कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
उक्त अवसर श्रीमती जी. एळिलरसी, उपमहालेखाकार, श्री नितिन गंगाधर पुके, उपमहालेखाकार तथा के साथ-साथ छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 300 बजट नियंत्रक अधिकारी, कोषालय अधिकारी तथा आहरण एवं संवितरण अधिकारी तथा दोनों महालेखाकार कार्यालय के अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित थे।




