रायपुर। राजधानी रायपुर में नगर निगम अब शहर की सभी संपत्तियों का आधुनिक तकनीक से हाई-टेक सर्वे शुरू करने की तैयारी में है। निगम के अनुसार, इस माह के अंत तक सर्वे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसके लिए एक निजी कंपनी से अनुबंध अंतिम चरण में है।
इस सर्वे का उद्देश्य उन सभी संपत्तियों को टैक्स दायरे में लाना है जो अब तक निगम के रिकॉर्ड से बाहर हैं, साथ ही पुराने रिकॉर्ड को सटीक और डिजिटल रूप में अपडेट करना है।
सात साल बाद फिर शुरू हो रहा बड़ा सर्वे
रायपुर का पिछला बड़ा संपत्ति सर्वे 2017-18 में विश्व बैंक की मदद से GIS तकनीक के जरिए किया गया था। तब लगभग 3.52 लाख संपत्तियां दर्ज की गई थीं। लेकिन पिछले सात वर्षों में शहर ने तेजी से विस्तार किया—नए मकान, प्लॉटिंग प्रोजेक्ट, अपार्टमेंट्स और कमर्शियल बिल्डिंग्स बढ़ी हैं। निगम का अनुमान है कि 50 से 60 हजार नई संपत्तियां अभी तक आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल नहीं हैं।
ड्रोन नहीं, अब रडार आधारित 3D सर्वे
पहले योजना थी कि सर्वे ड्रोन तकनीक से किया जाएगा, लेकिन अधिक सटीकता के लिए निगम ने रडार आधारित 3डी इमेजिंग सर्वे को मंजूरी दे दी है। यह तकनीक हाई-रेज़ोल्यूशन डिजिटल 3D नक्शा तैयार करेगी, जिसमें—
भवन की ऊंचाई
फ्लोर की संख्या
निर्माण की वास्तविक स्थिति
भूमि का नैचुरल लेवल
स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।
यह डेटा भविष्य में सड़क निर्माण, सीवरेज नेटवर्क, पाइपलाइन प्लानिंग और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स को बेहतर दिशा देगा। इस तकनीक पर निगम को लगभग 2 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आएगा, जिससे परियोजना लागत बढ़कर 62 करोड़ तक पहुंच गई है।
10 कंपनियों ने दी तकनीकी प्रेजेंटेशन
ड्रोन, रडार और सैटेलाइट तकनीक पर सर्वे करने वाली 10 कंपनियों ने प्रेजेंटेशन दिया। पिछले सर्वे की कई बड़ी गलतियां भी सामने आईं—
लगभग 80 हजार संपत्तियों में गलत माप
1.5 लाख संपत्तियों में अधूरा डेटा
40 हजार संपत्तियां जिनके मालिक बदल चुके, लेकिन रिकॉर्ड अपडेट नहीं
कई संपत्तियों में मोबाइल नंबर या वर्तमान पता तक उपलब्ध नहीं
इन्हीं गड़बड़ियों को दूर करने के लिए इस बार हाई-टेक तकनीक + डोर-टू-डोर वेरिफिकेशन दोनों मॉडल अपनाए जाएंगे।
डोर-टू-डोर सत्यापन और दावा-आपत्ति प्रक्रिया
रडार सर्वे पूरा होने के बाद निगम की टीमें घर-घर जाकर जानकारी का मिलान करेंगी।
हर संपत्ति मालिक को—
फोटो सहित विवरण
नया टैक्स डिमांड नोटिस
दिया जाएगा।
यदि किसी को डेटा गलत लगे तो वह 7 दिनों के भीतर दावा-आपत्ति दर्ज करा सकेगा। इसके लिए निगम एक अलग हेल्प सेल बनाएगा।
खर्च और फायदे का गणित
रडार तकनीक वाला यह सर्वे कुल मिलाकर 80–90 करोड़ रुपए का हो सकता है। औसत लागत 150 रुपए प्रति संपत्ति आएगी। निगम का अनुमान है कि 50 से 60 हजार नई संपत्तियां टैक्स दायरे में आने से हर साल लगभग 100 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।





