पुणे/महाराष्ट्र। हाल ही में महाराष्ट्र के कई ग्रामीण इलाकों से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जिन्हें देखकर लोग हैरान हैं। खेतों में काम करते ग्रामीण अपने गले में कीलों वाला लोहे का पट्टा बांधकर घूमते दिखाई दे रहे हैं। पहली नजर में यह अजीब लग सकता है, लेकिन इसके पीछे वजह बेहद गंभीर है—लगातार बढ़ते तेंदुओं के हमले।
तेंदुओं का खतरा, पिछले 5 सालों में कई मौतें
शिरूर और जुनार तहसील में तेंदुए के हमले से अब तक कम से कम तीन लोगों की मौत हो चुकी है। लगातार बढ़ती घटनाओं के बाद वन विभाग ने ग्रामीणों को हमले से बचाने के लिए नया तरीका अपनाया।
पिछले वर्ष अक्टूबर में जुनार वन विभाग ने Spiked Neck Band गले में पहनने वाला कांटेदार पट्टा की पहल शुरू की, ताकि तेंदुआ सीधे गर्दन पर हमला न कर सके।
गर्दन पर हमला करते हैं तेंदुए
वन विभाग की जांच में पाया गया कि ज्यादातर मामलों में तेंदुए इंसानों या पशुओं के गले में दांत गड़ाकर उन्हें खींचकर ले जाते हैं। यही कारण है कि सुरक्षा कवच के रूप में ऐसा बैंड बनाया गया जिसमें चारों तरफ नुकीले कांटे लगे हों, ताकि तेंदुआ हमला करने से पहले ही पीछे हट जाए।
पुणे की कंपनी ने बनाया सुरक्षा कवच
यह विशेष बैंड पुणे की एक कंपनी ने तैयार किया है।
लोहे वाले बैंड – भारी और मजबूत, गर्दन को अतिरिक्त सुरक्षा देते हैं
प्लास्टिक वाले बैंड – हल्के, ताकि किसान लंबे समय तक पहन सकें
इनमें घुंघरू भी लगाए गए हैं, ताकि आवाज सुनकर तेंदुआ दूर भाग जाए। अब तक 3300 से अधिक बैंड ग्रामीणों में मुफ्त बांटे जा चुके हैं।
कुत्ते और तेंदुए की लड़ाई से मिला आइडिया
स्थानीय लोगों के मुताबिक इस सुरक्षा पट्टे का आइडिया एक घटना से आया। एक तेंदुए ने अचानक गांव के कुत्ते पर हमला कर दिया। ग्रामीणों ने शोर मचाया, लाठियां पटकीं, लेकिन तेंदुआ पीछे नहीं हटा। सौभाग्य से कुत्ते के गले में ऐसा ही कांटेदार पट्टा था, जिससे तेंदुआ उसकी गर्दन नहीं पकड़ पाया और कुत्ता बच गया। इसी घटना ने ग्रामीणों को प्रेरित किया कि वे भी खेतों में काम करते समय ऐसा कवच पहनें, ताकि तेंदुए के हमले से बचाव हो सके।





