जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब की धर्म सभा में आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला जारी त्याग तपस्या का ठाठ
दुर्ग / दुख का मूल कारण आज्ञान है यह कैंसर तपेदिक से भी बड़ा रोग है अज्ञानी जितनी मिथ्या भ्रांतियां में जीता है उतना ज्ञानी व्यक्ति सुख शांति समाधि को पा लेता है अंधकार के समान आज्ञान है तो प्रकाश के समान ज्ञान है ज्ञान हमें आगम से मिलता है
अरिहंत परमात्मा की वाणी ही आगम है राग द्वेष मोह माया के विजेता तीर्थंकरों ने शिक्षाएं दी है वह हमारे जीवन का उद्धार करने वाली है आवश्यक सूत्र प्रतिदिन अवश्य करना चाहिए यह पाप का प्रचलन का शास्त्र है आत्मा के मेल मेल को दूर करके निर्मलता पवित्रता प्रदान करता है प्रतिक्रमण यह आवश्यक सूत्र का दूसरा नाम है आदिनाथ चरित्र के धन्य सार्थवाह भव का जिक्र करते हुए समन्वय साधिका श्री प्रिय दर्शना श्री जी ने जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब की धर्म सभा में व्यक्त किए
साध्वी समुदाय ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए आगे कहा 18 पापों से मुक्ति का मार्ग है तपस्या हमें इस मार्ग से जुड़कर अपने मानव जीवन को सार्थक करना चाहिए भगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर स्वामी तक सभी पावन पवित्र आत्माएं ध्यान साधना के मार्ग से ही भवपार किया है धर्म का मूल सम्यक दर्शन है स्व का अध्ययन करना स्वध्याय हे सभी के प्रति समभाव की भावना रखना ही धर्म है
श्रीमती चंचल अशोक बोथरा ने ने आज तेल तक की आराधना प्रारंभ की तपस्या के क्रम में जिज्ञासा बंगानी , आदित्य चौरडिया रोमा पारख नेहा सुराणा प्रियंकापारख की अठाई तप की आराधना जारी है
धर्म सभा को साध्वी विचक्षणा श्रीजी साध्वी सुप्रज्ञपति श्री जी ने भी संबोधित किया
नवीन संचेती
प्रचार प्रसार प्रमुख




