कोयला-राखड़ ओवरलोडिंग पर हाईकोर्ट सख्त, NTPC और SECL को लगाई फटकार

विशेष संवाददाता ,भास्कर दूत
रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोयला और राखड़ परिवहन में हो रही ओवरलोडिंग पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। बिलासपुर स्थित हाईकोर्ट ने NTPC (नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन) और SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि उनकी जिम्मेदारी केवल कोयला या राखड़ उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि ट्रांसपोर्टरों को नियमों का पालन कराने की भी है।
कोर्ट ने दो टूक कहा कि यदि ओवरलोडिंग पर रोक नहीं लगाई गई, तो संबंधित ट्रांसपोर्टरों के टेंडर रद्द कर दिए जाएं। यह टिप्पणी उस याचिका की सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें राज्य में ओवरलोडिंग के चलते सड़कों की बुरी हालत और आम नागरिकों को हो रही असुविधा की ओर ध्यान दिलाया गया था।
सड़कों की बदहाली और ओवरलोडिंग का सीधा संबंध
राज्य की कई सड़कों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि यह पहचानना मुश्किल हो गया है कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका बड़ा कारण भारी ओवरलोड ट्रकों का बेतरतीब संचालन है, खासकर कोयला और राखड़ से लदे वाहनों का।
हाईकोर्ट ने सरकार और संबंधित कंपनियों को निर्देश दिया कि वे ओवरलोड वाहनों के संचालन पर गंभीरता से रोक लगाने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करें। कोर्ट ने कहा कि जब केंद्र सरकार सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही है, तो राज्य में इस सोच को जमीनी रूप क्यों नहीं दिया जा रहा?
सिंगापुर जैसी सड़कें और भारतीय बोझ?
गौरतलब है कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा था कि वे देश की सड़कों को "सिंगापुर जैसी" बनाना चाहते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक ओवरलोडिंग जैसे मूलभूत समस्याओं पर नियंत्रण नहीं होगा, तब तक किसी भी सड़क की "चमक" बरकरार नहीं रह पाएगी।