सरकार से मिला आवास आखिर कब तक आपका बना रह सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस सवाल पर कड़ा रुख अपनाते हुए साफ कर दिया कि कोई भी व्यक्ति जीवन भर सरकारी बंगले पर कब्जा नहीं कर सकता. अदालत ने बिहार के पूर्व विधायक अविनाश कुमार सिंह की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने दो साल तक बंगला खाली नहीं किया और अब 21 लाख रुपये का जुर्माना किराया चुकाना पड़ेगा. यह फैसला तब आया है जब हाल ही में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद उनके आधिकारिक आवास को भी सरकार ने वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की है एक स्पष्ट संकेत कि सरकारी सुविधा स्थायी संपत्ति नहीं होती.
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और एन वी अंजरिया की पीठ के सामने बिहार के पूर्व विधायक अविनाश कुमार सिंह पेश हुए, जिन्हें पटना के टेलर रोड पर अपने सरकारी बंगले में अप्रैल 2014 से मई 2016 तक दो साल तक रहने के लिए 21 लाख रुपये का जुर्माना किराया देने का आदेश दिया गया था.
क्या था मामला
अविनाश कुमार सिंह, जो बिहार के धाका विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने मार्च 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया. चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने पटना के टेलर रोड स्थित सरकारी बंगला मई 2016 तक कब्जे में बनाए रखा. सरकार ने जब उनसे 21 लाख रुपये का अतिरिक्त किराया मांगा, तो सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और कहा कि वे 2009 की एक सरकारी अधिसूचना के आधार पर ‘राज्य विधानमंडल अनुसंधान और प्रशिक्षण ब्यूरो’ के सदस्य के रूप में इस बंगले में रह सकते थे.