वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही है और जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा. ऐसा होने के बाद भारत साल 2030 तक 2,000 डॉलर (करीब 172 लाख करोड़ रुपये) के महत्वाकांक्षी निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के करीब पहुंच जाएगा. इसके लिए हरसंभाव प्रयास किए जा रहे हैं और जल्द ही योजना पर अमल भी पूरा हो जाएगा.
वित्तमंत्री ने कहा कि भारत ने पहले ही संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और चार देशों के ईएफटीए (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) ब्लॉक के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर कर लिए हैं और ब्रिटेन के साथ बातचीत पूरी हो चुकी है. अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत वास्तव में बेहद तेजी से जारी है और जल्द ही निष्कर्ष पर पहुंच जाएगी. इसका फायदा भारत और यूरोप, अमेरिका तीनों ही पक्षों को होगा.
मुक्त व्यापार पर ज्यादा जोर
वित्तमंत्री ने आयात-निर्यात बैंक की ओर से आयोजित सम्मलेन के उद्घाटन मौके पर कहा कि भारत अब ज्यादातर मुक्त व्यापार समझौते पर जोर दे रहा है. देश के निर्यात का उल्लेख करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि वित्तवर्ष 2024-25 में वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल निर्यात 825 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो 2023-24 की तुलना में 6 फीसदी अधिक है.
दुनिया से ज्यादा भारत की वृद्धि
वित्तमंत्री ने कहा कि जहां वैश्विक निर्यात में केवल 4 फीसदी की वृद्धि हुई, वहीं भारत के निर्यातक व्यापार मोर्चे पर वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद तेजी से आगे बढ़ने और 6.3 फीसदी की वृद्धि को पार करने में सफल रहे हैं. इसका मतलब है कि भारत के निर्यात की ग्रोथ दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले कहीं बेहतर रही है. वित्तमंत्री ने निर्यातकों को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाते हुए उनसे आग्रह किया कि वे नवोन्मेषण पर ध्यान केंद्रित करें और अपने उत्पादों के लिए नए बाजार तलाशें.
दुनिया के लिए उम्मीद की किरण है भारत
वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने बताया कि भारत की वृद्धि संभावनाएं उज्ज्वल बनी हुई हैं, जबकि विश्व अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और इससे उत्पन्न चुनौतियों से परेशान हैं. वैश्विक स्तर पर तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत दुनिया में उम्मीद की किरण बना हुआ है. नागराजू ने कहा कि भारत का निर्यात तमाम चुनौतियों के बावजूद अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.