महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न कंपनियां क्या होती हैं....दर्जा देने मिल जाता है इन्हें कौन सा फायदा....

भारत सरकार ने IRCTC और IRFC को नवरत्न कंपनियों का दर्जा दे दिया है. यह किसी भी सरकारी कंपनी को मिलने वाला बड़ा सम्मान है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि न

Mar 9, 2025 - 01:14
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महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न कंपनियां क्या होती हैं....दर्जा देने मिल जाता है इन्हें कौन सा फायदा....
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भारत सरकार ने IRCTC और IRFC को नवरत्न कंपनियों का दर्जा दे दिया है. यह किसी भी सरकारी कंपनी को मिलने वाला बड़ा सम्मान है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरत्न की ही तरह और 2 श्रेणियां है. भारत में सरकारी कंपनियों (PSUs) को उनकी परफॉर्मेंस और फाइनेंशियल स्ट्रेंथ के आधार पर तीन कैटेगरी में रखा जाता है – महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न. सरकार इन कंपनियों को अलग-अलग दर्जा देकर उन्हें बिजनेस फैसले लेने की आजादी देती है, जिससे वे ज्यादा आत्मनिर्भर बन सकें और तेजी से ग्रोथ कर सकें. इस कैटेगरी में आने के लिए कंपनियों को कुछ तय क्राइटेरिया पूरे करने होते हैं, जिनमें रेवेन्यू, नेट प्रॉफिट और नेट वर्थ जैसे पैरामीटर शामिल होते हैं. सरकार ने ये कैटेगरी इसलिए बनाई हैं ताकि पब्लिक सेक्टर की बड़ी कंपनियां कॉम्पिटेटिव बन सकें और इंटरनेशनल लेवल पर भी अपनी जगह बना पाएं. महारत्न कंपनियों को सबसे ज्यादा छूट मिलती है, जबकि नवरत्न और मिनीरत्न को लिमिटेड स्वायत्तता मिलती है. महारत्न कंपनियां क्राइटेरिया: पिछली 3 सालों में औसत सालाना टर्नओवर ₹20,000 करोड़ से ज्यादा हो. औसत नेट वर्थ ₹10,000 करोड़ से ज्यादा हो. औसत नेट प्रॉफिट ₹2,500 करोड़ से ज्यादा हो. लाभ: ये कंपनियां ₹5,000 करोड़ तक का इन्वेस्टमेंट अपने बोर्ड की मंजूरी से कर सकती हैं. इंटरनेशनल जॉइंट वेंचर और सब्सिडियरी कंपनियां बना सकती हैं. उदाहरण: ONGC, NTPC, BHEL, GAIL, IOCL, BPCL, SAIL, Power Grid, Coal India, PFC, REC, HPCL, Oil India नवरत्न कंपनियां क्राइटेरिया: कंपनी को मिनीरत्न का दर्जा मिला हो. पिछले 3 साल में कम से कम 60 अंक का स्कोर (अलग-अलग फाइनेंशियल और नॉन-फाइनेंशियल पैरामीटर्स पर) हो. लाभ: ये कंपनियां बिना सरकारी मंजूरी के ₹1,000 करोड़ या नेट वर्थ के 15% तक इन्वेस्टमेंट कर सकती हैं. इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स में निवेश की छूट मिलती है. उदाहरण: BEL, HAL, RVNL, EIL, NALCO, NBCC, PFC मिनीरत्न कंपनियां इन्हें दो कैटेगरी में बांटा गया है: मिनीरत्न कैटेगरी I: कम से कम तीन साल से प्रॉफिट में हो. नेट प्रॉफिट ₹30 करोड़ से ज्यादा हो. लाभ: ये कंपनियां ₹500 करोड़ तक निवेश कर सकती हैं. उदाहरण: IRCTC, Balmer Lawrie, WAPCOS मिनीरत्न कैटेगरी II: कम से कम तीन साल से प्रॉफिट में हो. लाभ: ₹300 करोड़ तक का इन्वेस्टमेंट कर सकती हैं. उदाहरण: MECON, NSIC सरकार इन कंपनियों को ज्यादा फ्रीडम देकर उन्हें ग्लोबल मार्केट में मजबूती से खड़ा करने की कोशिश कर रही है. इससे देश की इकॉनमी को भी मजबूती मिलती है और लोगों को नए रोजगार के मौके भी मिलते हैं.
Bhaskardoot Digital Desk www.bhaskardoot.com