टैक्स डिडक्शन और टैक्स एग्जंप्शन में क्या है फर्क, हर दूसरा बंदा होता है कंफ्यूज

हर साल, इनकम टैक्स भरने और रिटर्न फाइल करने से पहले आप कुछ फायदे लेते हैं, जो आपके टैक्स की देय राशि को कम करते हैं. इन फायदों को एग्जंप्शन (Exemption

Dec 31, 2024 - 09:56
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टैक्स डिडक्शन और टैक्स एग्जंप्शन में क्या है फर्क, हर दूसरा बंदा होता है कंफ्यूज
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हर साल, इनकम टैक्स भरने और रिटर्न फाइल करने से पहले आप कुछ फायदे लेते हैं, जो आपके टैक्स की देय राशि को कम करते हैं. इन फायदों को एग्जंप्शन (Exemption) और कटौती (Deduction) कहा जाता है. ये आपकी कर योग्य आय को कम करने में मदद करते हैं. हालांकि, नई टैक्स व्यवस्था में इनमें से अधिकांश फायदे हटा दिए गए हैं, लेकिन आप पुरानी टैक्स व्यवस्था में इनका लाभ उठा सकते हैं.
अक्सर लोग टैक्स डिडक्शन और टैक्स एग्जंप्शन में कंफ्यूज हो जाते हैं. खासतौर पर ऐसे युवा जो अभी नए-नए टैक्सपेयर बने हैं. ये दोनों ही टैक्स की देनदारी कम करने का तरीका हैं लेकिन इन एक बहुत बड़ा बुनियादी अंतर है. आज हम जानेंगे कि आखिर इन दोनों में क्या अंतर है? कटौती (Deductions) कटौती का मतलब है कि वित्तीय वर्ष में किए गए कुछ खास निवेश या खर्चे आपकी कुल आय से घटाए जा सकते हैं. ये टैक्सेबल इनकम को कम करने में मदद करते हैं, जिससे टैक्स की देय राशि घट जाती है. प्रमुख कटौती और उनके सेक्शन सेक्शन 80C: निवेश/खर्च (जैसे पीपीएफ, ईपीएफ, म्यूचुअल फंड) – ₹1.5 लाख सेक्शन 80CCD(1b): नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) – ₹50,000 सेक्शन 80D: मेडिकल प्रीमियम – ₹25,000 (60 साल से कम); ₹50,000 (60 साल से अधिक) सेक्शन 80E: एजुकेशन लोन का ब्याज – 8 साल तक सेक्शन 80G: दान – 50% या 100% कटौती सेक्शन 80TTA: सेविंग अकाउंट का ब्याज – ₹10,000 (60 साल से कम) सेक्शन 80TTB: ब्याज (60 साल से अधिक) – ₹50,000 उदाहरण यदि आपकी वार्षिक कुल आय ₹20 लाख है और आप पुरानी टैक्स व्यवस्था में ₹1.5 लाख (80C), ₹20,000 (80D), और ₹35,000 (80CCD) की कटौती का दावा करते हैं, तो: कुल आय: ₹20 लाख कटौती: ₹2.05 लाख करयोग्य आय: ₹17.95 लाख छूट (Exemptions) छूट का मतलब है कि आपकी कुल आय का कोई विशेष हिस्सा टैक्स के दायरे से बाहर होगा. जैसे कृषि आय, हाउस रेंट अलाउंस (HRA), या लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA). प्रमुख छूट और उनके सेक्शन सेक्शन 10(13): HRA – निम्नलिखित में से कम: नियोक्ता से प्राप्त HRA (बेसिक सैलरी + डीए) का 50% (मेट्रो); 40% (नॉन-मेट्रो) वास्तविक किराया भुगतान – (बेसिक + डीए का 10%) सेक्शन 10(5): LTA – 4 साल में 2 बार सेक्शन 10(14): भोजन भत्ता – ₹50 प्रति भोजन उदाहरण यदि आपकी करयोग्य आय ₹17.95 लाख है और आप HRA में ₹1.5 लाख और LTA में ₹1 लाख की छूट लेते हैं, तो करयोग्य आय: ₹17.95 लाख छूट: ₹2.5 लाख अंतिम करयोग्य आय: ₹15.45 लाख
Bhaskardoot Digital Desk www.bhaskardoot.com