रंग लाई नाना पटोले की जिद, बड़ा भाई बनी कांग्रेस, शरद पवार-उद्धव ठाकरे को पीछे खींचने पड़े कदम

महाराष्ट्र में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने इंडिया गठबंधन का पूरा गेम बदल दिया है. इस एक नेता ने बीते लोकसभा में कांग्रेस को राज्य की सबसे

Oct 23, 2024 - 00:51
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रंग लाई नाना पटोले की जिद, बड़ा भाई बनी कांग्रेस, शरद पवार-उद्धव ठाकरे को पीछे खींचने पड़े कदम
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महाराष्ट्र में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने इंडिया गठबंधन का पूरा गेम बदल दिया है. इस एक नेता ने बीते लोकसभा में कांग्रेस को राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनावाया अब इंडिया गठबंधन में भी शरद पवार और उद्धव ठाकरे की जोड़ी को शानदार तरीके से मात दी है. नाना पटोले ने अपनी जिद या फिर अपनी रणनीति से पहले कांग्रेस आलाकमान को इस बात के लिए राजी कर लिया कि राज्य में कांग्रेस को उसका रुतबा मिलना चाहिए. फिर कांग्रेस हाईकमान ने उनको इंडिया गठबंधन के दिग्गजों शरद पवार और उद्धव ठाकरे के साथ डील करने की पूरी छूट दे दी. अब इसका नतीजा सबके सामने है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए महाविकास अघाड़ी के भीतर सीट बंटवारे का फॉर्मूला आखिरकार तय हो गया है. कई दौर की बैठकों के बाद महाविकास अघाड़ी में दरार सुलझ गई. बुधवार को तीनों पार्टियां संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगी और सीटों के बंटवारे की घोषणा की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि उद्धव बालासाहेब ठाकरे की पार्टी शिवसेना को 95 सीटें मिलेंगी. शरद पवार की एनसीपी को 80 से 85 सीटें मिलेंगी. इस तरह गठबंधन के भीतर कांग्रेस पार्टी ने बड़ा भाई का रुतबा हासिल कर लिया है. विदर्भ में सीटों को लेकर महाविकास अघाड़ी में विवाद हो गया था. नाना पटोले और संजय राउत के बीच विवाद चरम पर पहुंच गया. संजय राउत ने तो यहां तक कहा दिया कि अगर नाना पटोले महाविकास अघाड़ी की बैठक में होंगे तो वह मीटिंग में नहीं जाएंगे. इसके बाद सभी कांग्रेस नेता दिल्ली चले गए. कांग्रेस बनी बड़ा भाई कांग्रेस आलाकमान ने बालासाहेब थोराट को उद्धव ठाकरे और शरद पवार से बात करने की जिम्मेदारी दी थी. इसके बाद मंगलवार को बालासाहेब थोराट और शरद पवार और उद्धव ठाकरे की मुलाकात हुई. इस बैठक के बाद महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने एक बार फिर बैठक की. इस बैठक में सीटों के आवंटन के अंतिम निर्णय ले लिया गया है. यह वहीं कांग्रेस ने जिसे लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य की 48 सीटों में केवल 17 सीटें मिली थीं. शिवसेना उद्धव गुट ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा. एनसीपी शरद गुट ने 10 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन, चुवानी नतीजों में शिवसेना उद्धव गुट को तगड़ा झटका लगा. उसे केवल नौ सीटों पर जीत मिली वहीं. कांग्रेस ने 13 सीटों पर जीत हासिल और उसके एक नेता ने निर्दलीय उतरकर शिवसेना उद्धव गुट के आधिकारिक उम्मीदवार को हरा दिया. इस तरह देखें तो राज्य में कांग्रेस के पास इस वक्त 14 सांसद हैं. शरद गुट के पास आठ सांसद हैं.राज्य में एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन छह विधानसभा सीटें हैं. अगर लोकसभा चुनाव का फॉर्मूला अपनाया जाता तो शिवसेना उद्धव गुट को 126 सीटें मिलतीं, वहीं कांग्रेस को 102 और एनसीपी शरद गुट को केवल 60 सीटें मिलतीं. लेकिन, लोकसभा के नतीजों ने शिवसेना उद्धव गुट का खेल बिगाड़ दिया. कांग्रेस अपने हिस्से की सीटें बचाने में कामयाब रही. लेकिन, सबसे ज्यादा फायदा एनसीपी शरद गुट का हुआ है.
Bhaskardoot Digital Desk www.bhaskardoot.com