लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने बिहार चुनाव परिणाम के अगले दिन अचानक राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर सभी को चौंका दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट में लिखा कि वे अब राजनीति से दूरी बनाएंगी और अपने परिवार से भी अलग हो रही हैं। रोहिणी ने दावा किया कि यह कदम उन्होंने संजय यादव और रमीज के दबाव में उठाया, हालांकि पूरी जिम्मेदारी वे स्वयं पर ले रही हैं। उनके इस बयान ने आरजेडी खेमे में हलचल मचा दी है और चुनावी हार के बीच परिवारिक विवाद पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
आरजेडी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे परिवार का आंतरिक मामला बताया। वहीं बीजेपी नेता प्रदीप भंडारी ने इसे पार्टी के अंदरूनी संकट का उदाहरण बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भविष्यवाणी “परिवार बनाम परिवार” सच साबित हो रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार लालू और राबड़ी ने तेजस्वी यादव पर संजय यादव के खिलाफ कोई कार्रवाई का दबाव नहीं डाला, यही वजह रही कि रोहिणी आचार्य ने अचानक इस तरह का कदम उठाया।
इस फैसले से पार्टी पर भी असर पड़ा है। रोहिणी ने आरोप लगाया कि उन्हें यह निर्णय दबाव में लेना पड़ा। आरजेडी पहले से ही इस चुनाव में कमजोर स्थिति में थी और केवल 25 सीटों पर सिमटना राजनीतिक असफलता के साथ-साथ संगठनात्मक कमजोरी और परिवारिक खींचतान का संकेत भी है। तेजस्वी यादव पूरे चुनाव में पार्टी के चेहरे थे, लेकिन नतीजों ने उनकी सीमित अपील को दिखाया।
कार्यकर्ताओं में भी असंतोष बढ़ रहा था। आरजेडी में परिवारवादी राजनीति लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन इस बार इसी मॉडल ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया। निर्णय कुछ लोगों के हाथ में केंद्रित रहने, कमजोर चुनावी रणनीति और जमीनी मुद्दों पर काम न करने के कारण एनडीए ने अपनी एकजुटता और विकास के दावों के बल पर बड़ी जीत हासिल की।





