छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान से मनीष तिवारी सम्मानित, मां को किया समर्पित

 

 

दानवीर भामाशाह सम्मान नीरज कुमार बाजपेयी को, पत्‍नी को किया समर्पित

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित “छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान” समारोह में इस वर्ष मनीष तिवारी को सम्मानित किया गया। मनीष तिवारी वर्षों से विदेश में रहकर छत्तीसगढ़ और भारत की संस्कृति, शिक्षा तथा सामाजिक मूल्यों को वैश्विक मंच पर बढ़ावा देने में सक्रिय हैं। उन्‍होने यह सम्मान अपनी मां पुष्‍पा देवी तिवारी को समर्पित कर सभी का दिल जीत लिया। मंच पर सम्मान ग्रहण करते हुए मनीष तिवारी ने भावुक होकर कहा, “मेरी मां ने मुझे हमेशा अपनी मिट्टी से जुड़े रहने की प्रेरणा दी। यह सम्मान सिर्फ मेरा नहीं, हर उस मां का है जो अपने बच्चों में संस्कार और अपने देश के प्रति प्रेम भरती है।” वहीं दानवीर भामाशाह सम्मान नीरज कुमार बाजपेयी को दानशीलता, सौहार्द और अनुकरणीय सहायता के लिए दिया गया। जब नीरज कुमार बाजपेयी ने मंच से अपने सम्मान को अपनी पत्नी के नाम समर्पित किया, तो पूरे सभागार में तालियों की गूंज उठी। भावुक होते हुए उन्होंने कहा, “हर अच्छे काम के पीछे किसी न किसी का त्याग और समर्थन होता है। मेरी पत्नी सोनल वाजपेयी ने हमेशा मुझे समाजसेवा के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। यह सम्मान जितना मेरा है, उतना ही उनका भी।” नीरज बाजपेयी लंबे समय से शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हैं। उन्होंने कई गरीब विद्यार्थियों की शिक्षा का जिम्मा उठाया है और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर हजारों लोगों को निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराया है। सम्मान समारोह में विभिन्न सामाजिक संगठनों, शिक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधियों और गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।
मनीष तिवारी एक प्रवासी छत्तीसगढ़ी मूल के एनआरआई हैं, जो लंदन में रहते हैं। वे छत्तीसगढ़ से गहरा जुड़ाव रखते हैं और विदेश में रहकर भी राज्य की सेवा में जुटे हैं। उनकी पहचान लंदन में छत्तीसगढ़ी प्रवासी समुदाय को एकजुट करने वाले प्रमुख संगठन उत्तरी लंदन छत्तीसगढ़ एसोसिएशन (एनएलसीएचए) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में है। वह गरीबों, अनाथों और महिलाओं के लिए फंड रेजिंग, मेडिकल कैंप और शिक्षा सहायता कार्यक्रम चलाते हैं। उन्होंने कोविड-19 महामारी में छत्तीसगढ़ के गांवों में ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाइयां और राशन किट भिजवाए। उनको छत्तीसगढ़ी भाषा और लोक साहित्य के प्रचारक के रूप में भी जाना जाता है। वह लंदन में छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन और लोक कथा संरक्षण प्रोजेक्ट चलाते हैं। उन्होंने अपनी किताबों में छत्तीसगढ़ की लोककथाएं, कर्मा-सुआ नृत्य और बस्तर की आदिवासी संस्कृति को विश्व पटल पर प्रस्तुत किया। वह लंदन की बड़ी आईटी कंपनी में एचआर हेड के रूप में कार्यरत हैं।
उन्होंने सैकड़ों छत्तीसगढ़ी युवाओं को विदेश में नौकरी दिलाने में मदद की।साथ ही स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाकर छत्तीसगढ़ के छात्रों को ऑनलाइन कोचिंग दी। अपनी संस्था के माध्यम से छत्तीसगढ़ हेरिटेज सेंटर स्थापित किया, जहां छत्तीसगढ़ी कलाकृतियां प्रदर्शित होती हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार के साथ मिलकर एनआरआई इन्वेस्टमेंट सेल में सलाहकार रहे। उन्होंने एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के माध्यम से छत्तीसगढ़ के स्टार्टअप्स में लगवाया। रायपुर और बिलासपुर में सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट और हेल्थकेयर यूनिट में निवेश करवाया। 2024 में 2 मिलियन डालर का फंड छत्तीसगढ़ के एमएसएमई सेक्टर के लिए जुटाया। वह विदेश में रहते हुए भी हर साल छत्तीसगढ़ आते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप लगाते हैं।
वह एकमात्र एनआरआई हैं, जो छत्तीसगढ़ी भाषा को यूनेस्को की लुप्तप्राय भाषाएँ लिस्ट से बचाने के लिए अभियान चला रहे हैं। लंदन में रहने वाले हजारों छत्तीसगढ़ी बच्चों को मातृभाषा सिखाने के लिए ऑनलाइन स्कूल चलाते हैं। मनीष तिवारी जैसे प्रवासी योद्धा साबित करते हैं कि दूरी चाहे कितनी भी हो, दिल छत्तीसगढ़ में बसता है। उनका सम्मान पूरे एनआरआई समुदाय के लिए गर्व की बात है।

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