देश

ड्रग्स, पॉर्नोग्राफी, जुआ… डेटिंग ऐप्स की जाल में फंसे 18 से कम उम्र वाले बच्चे, पुलिस के D-DAD ने बचाई हजारों जान

केरल का एक मात्र 16 साल का लड़का, दो साल से लगातार डेटिंग ऐप पर एक्टिव था. नाबालिग बच्चे के डेटिंग ऐप पर फंसे रहना ऑनलाइन ऐप के खतरे को उजागर किया है. आज के डिजिटल दुनिया से हम जहां कदम ताल मिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं, नाबालिग या फिर कम उम्र के बच्चों ने वहां पर अपनी एक अलग ही दुनिया बना लीं है. वे बाहर भी नहीं आना चाहते हैं और इसके जाल में फंसते-फंसते वे कब ड्रग्स, सिगरेट, पॉर्न और गेमिंग की लत लगा बैठते हैं, पता ही नहीं चलता है.

हाल ही में केरल पुलिस ने 14 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिसमें कई सरकारी कर्मचारी भी हैं, जिनके खिलाफ किशोर के यौन शोषण का मामला दर्ज किया है. पुलिस ने बताया कि आरोपी फर्जी प्रोफाइल के जरिए बच्चे दोस्ती के बहाने शोषण करने वाले थे. जांच में पता चला कि लड़का करीबन दो सालों से फर्जी प्रोफाइल बनाकर एक्टिव रहता था. पुलिस का कहना है कि ऐसी घटनाएं अब आम हो रही हैं. ये केस डिजिटल दुनिया के काले साइड को उजागर करती हैं.

पुलिस ने इस बच्चे की जान डिजिटल डी-एडिक्शन (डी-डैड- D-DAD) पहल की मदद से बचाया था. इस ऐप के जरिए ऑनलाइन गेम्स, सोशल मीडिया और पॉर्नोग्राफी की लत से बचाने का प्रयास है.

जानते हैं डी-डैड प्रोजेक्ट के बारे में?

डी-डैड प्रोजेक्ट 2023 में शुरू हुआ. यह देश का पहला ऐसा कार्यक्रम है. वर्तमान में तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोच्चि, त्रिशूर, कोझिकोड और कन्नूर में छह केंद्र चल रहे हैं. माता-पिता, स्कूलों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं से पॉजिटिव प्रतिक्रिया मिलने के बाद पुलिस ने इसे 2025-26 वित्तीय वर्ष के अंत तक पठानमथिट्टा, अलप्पुझा, कोट्टायम, पलक्कड़, मलप्पुरम, वायनाड, इडुक्की और कासरगोड में विस्तार की तैयारी में है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 से जुलाई 2025 तक डी-डैड केंद्रों ने 1,992 डिजिटल लत को बचाया. इनमें से 571 बच्चों को ऑनलाइन गेम्स की लत थी.

बच्चों को समय पर बचाने की पहल

एर्नाकुलम के डी-डैड केंद्र के समन्वयक और स्टूडेंट पुलिस कैडेट (एसपीसी) प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी सूरज कुमार एमबी ने कहा, ‘यह पहल सैकड़ों बच्चों के लिए समय रहते पुलिस की हस्तक्षेप से बचाने की पहल है. लड़के ज्यादातर गेम्स की लत में फंसते हैं, जबकि लड़कियां सोशल मीडिया की ओर आकर्षित होती हैं. हम काउंसलरों के जरिए व्यावहारिक तरीके सुझाते हैं. माता-पिता को भी शामिल करते हैं.’ सूरज ने बताया कि पहले परिवार मोबाइल इस्तेमाल को लत नहीं मानते थे, लेकिन अब मामले बढ़ने से वे इसे शराब या ड्रग्स जितना गंभीर समझ रहे हैं. राज्य सरकार ने जुलाई में समाप्त हुए काउंसलर कॉन्ट्रैक्ट्स को नवीनीकृत किया है और बढ़ती मांग के लिए अतिरिक्त स्टाफ नियुक्त कर रही है.

डेटिंग ऐप्स के शिकार नाबालिग

हाल ही विधानसभा सत्र में मोबाइल और इंटरनेट के दुरुपयोग पर चिंता जा जा रही थी. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एमएलए केजे मैक्सी के सवाल पर बताया कि जनवरी 2021 से 9 सितंबर 2025 तक 41 बच्चों ने मोबाइल दुरुपयोग से आत्महत्या की. इसी अवधि में 30 बच्चों पर डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े यौन या नशीले पदार्थों के अपराधों में कार्रवाई हुई. साइबर लॉ एक्सपर्ट और साइबर सुरक्ष फाउंडेशन के संस्थापक जियास जमाल ने डी-डैड को मॉडल पहल बताया, लेकिन चेतावनी दी कि नाबालिगों के बीच डेटिंग ऐप्स का दुरुपयोग गंभीर चुनौती है. जमाल ने कहा, ‘ये ऐप्स 18+ के लिए हैं, लेकिन कमजोर वेरिफिकेशन से नाबालिग घुस जाते हैं। ये शोषण का केंद्र बन रहे हैं. विदेशी सर्वर से चलने वाले ऐप्स पर विज्ञापनों को रोकना जरूरी है.’

ऐप्स की लत में फंसे बच्चे पॉर्नोग्राफी और ड्रग्स के शिकार

इस प्रकार के ऐप्स में फंसे बच्चे फंसकर ब्लैकमेल, पॉर्नोग्राफी या नशीले पदार्थों के कारोबार में धकेले जाते हैं. महिलाओं एवं बाल विकास विभाग ने 1,227 स्कूलों में ‘अवर रिस्पॉन्सिबिलिटी टू चिल्ड्रन’ (ओआरसी) पहल शुरू की है, जो डिजिटल लत पर जागरूकता फैलाती है. शिक्षा विभाग के साथ मिलकर 1,012 स्कूलों में साइको-सोशल काउंसलर तैनात किए गए हैं.

Leave A Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts