सूचना आयोग के आदेश की अनदेखी डीएफओ को पड़ी महंगी, शासन ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

सूचना आयोग के आदेश की अनदेखी डीएफओ को पड़ी महंगी, शासन ने जारी किया कारण बताओ नोटिस - 15 दिन में देना होगा जवाब, नहीं तो होगी अनुशासनात्मक कार्रवाई

Jul 25, 2025 - 18:55
Jul 25, 2025 - 18:56
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सूचना आयोग के आदेश की अनदेखी डीएफओ को पड़ी महंगी, शासन ने जारी किया कारण बताओ नोटिस
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सूचना आयोग के आदेश की अनदेखी डीएफओ को पड़ी महंगी, शासन ने जारी किया कारण बताओ नोटिस - 15 दिन में देना होगा जवाब, नहीं तो होगी अनुशासनात्मक कार्रवाई

रायपुर @ वन विभाग के एक अधिकारी को सूचना आयोग के आदेशों को हल्के में लेना भारी पड़ गया। खैरागढ़ वनमंडल में पदस्थ  वनमंडल अधिकारी (DFO )पंकज राजपूत के खिलाफ शासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्हें 15 दिनों के भीतर जवाब देना होगा, नहीं तो अखिल भारतीय सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।

 पूरा मामला 

जनवरी 2020 में नितिन सिंघवी ने महासमुंद वनमंडल से हाथियों द्वारा की गई जनहानि और धनहानि से जुड़ी जानकारी सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी थी। उस समय के जन सूचना अधिकारी सह डीएफओ मयंक पांडे ने जवाब दिया था कि दस्तावेज बहुत ज्यादा हैं, आवेदक खुद आकर देख ले, फिर जो कागज चाहिए वह निशुल्क दे दिए जाएंगे।

लेकिन आवेदक इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और मामला छत्तीसगढ़ सूचना आयोग पहुंचा। आयोग ने सुनवाई के दौरान पाया कि जानकारी लगभग 94 हजार पेज की है, लेकिन आवेदक को दस्तावेजों को देखने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। आयोग ने आदेश दिया कि मांगी गई जानकारी निशुल्क भेजी जाए और दस्तावेजों की छपाई व वितरण की लागत दोषी अधिकारी से वसूली जाए।

डीएफओ पंकज राजपूत की भूमिका

इस बीच डीएफओ मयंक पांडे का तबादला हो गया और नए डीएफओ के रूप में पंकज राजपूत महासमुंद वनमंडल में पदस्थ हुए। पंकज राजपूत ने आयोग को बताया कि इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की तैयारी की जा रही है, और उन्होंने कुछ समय मांगा।

आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिया कि यदि कोई स्थगन आदेश (Stay Order) लिया गया है तो उसकी प्रति प्रस्तुत करें। लेकिन इसके बाद हुई दो सुनवाइयों में भी पंकज राजपूत ने कोई कोर्ट का आदेश पेश नहीं किया। इस लापरवाही को गंभीर मानते हुए आयोग ने अगस्त 2022 में शासन से उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी।

तीन साल बाद शासन ने लिया संज्ञान

आयोग के आदेश को लगभग तीन साल तक नजरअंदाज किया गया। जब 2025 में फिर से मामला आयोग में उठा, तो आयोग के अवर सचिव ने शासन से जानकारी मांगी कि अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इसके बाद वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने 11 जुलाई 2025 को पंकज राजपूत को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

नोटिस में कहा गया है कि उन्होंने अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन नहीं किया, जिससे यह अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968 के नियम 3 का उल्लंघन है। अब उनसे पूछा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए?

आवेदक का पक्ष

इस पूरे मामले में आरटीआई लगाकर जानकारी मांगने वाले नितिन सिंघवी का कहना है कि जब सूचना आयोग बार-बार आदेश दे रहा था, तब भी अधिकारी टालते रहे। शासन को चाहिए कि ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई करे ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

Bhaskardoot Digital Desk www.bhaskardoot.com