भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर के कार्यकर्ता और एनसीपी-शरद गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई थी. इस घटना से हड़कंप मच गया. खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इसपर बयान देना पड़ा. इन सबके बीच महाराष्ट्र में फिलहाल एक ही बात की चर्चा हो रही है. भाई राज ठकरे से दो दशक के बाद सुलह करने वाले उद्धव ठाकरे क्या फिर से बीजेपी खेमे में शामिल होकर एनडीए का हिस्सा बनेंगे? दरअसल, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी. एक दिन पहले ही भाजपा नेता ने ठाकरे को सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने का निमंत्रण दिया था. उसके बाद विधानपरिषद के सभापति राम शिंदे के कक्ष में हुई दोनों नेताओं की मुलाकात ने प्रदेश की राजनीतिक धड़कनों को बढ़ा दिया है. दोनों के बीच लगभग 20 मिनट तक बातचीत चली. उद्धव ठाकरे के साथ उनके बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे भी थे.
उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के विभिन्न संपादकों द्वारा लिखे गए लेखों का संग्रह ‘हमें हिंदी की आवश्यकता क्यों है?’ नामक पुस्तक भेंट की. फडणवीस ने पुस्तक स्वीकार करते हुए कथित तौर पर सुझाव दिया कि इसकी एक प्रति नरेंद्र जाधव को भी सौंपी जाए, जो थ्री-लैंग्वेज नीति निर्णय की समीक्षा करने वाली समिति के प्रमुख हैं. यह बैठक विधानपरिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के विदाई समारोह में देवेंद्र फडणवीस द्वारा की गई सार्वजनिक टिप्पणी के ठीक एक दिन बाद हुई. अपने भाषण में फडणवीस ने कहा कि भाजपा विपक्ष में शामिल नहीं होगी, लेकिन उद्धव ठाकरे सत्तारूढ़ दल में शामिल होने पर विचार कर सकते हैं.
सीएम फडणवीस का ऑफर, क्या है संकेत
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा था, ‘कम से कम 2029 तक हमारे लिए वहां (विपक्ष) जाने की कोई गुंजाइश नहीं है. उद्धव जी इस तरफ (सत्तारूढ़ दल) आने की गुंजाइश के बारे में सोच सकते हैं और इस बारे में अलग तरीके से सोचा जा सकता है, लेकिन हमारे लिए वहां (विपक्ष) जाने की कोई गुंजाइश नहीं बची है.’ यह मुलाकात उद्धव ठाकरे के अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ दो दशक से भी ज़्यादा समय बाद फिर से मिलने के कुछ दिनों बाद हुई है, जो मुंबई में आगामी नगर निगम चुनावों से पहले गठबंधनों के संभावित पुनर्गठन का संकेत है.
महाराष्ट्र विधानमंडल में झड़प पर राज ठकारे ने रिएक्शन दिया है. उन्होंने कहा, ‘कल विधानभवन परिसर में सत्तारूढ़ पक्ष के विधायक और विपक्षी दल के विधायकों के कार्यकर्ताओं के बीच जबरदस्त मारपीट हुई. इसकी वीडियो क्लिप मैंने देखी. यह देखकर मेरे मन में सचमुच सवाल उठा – क्या हाल हो गया है हमारे महाराष्ट्र का?’ उन्होंने एक्स पर आगे लिखा, ‘सत्ता एक साधन होनी चाहिए, उद्देश्य नहीं – यह बात जब भुला दी जाती है, तो मनमाने लोगों को पार्टी में शामिल किया जाता है. फिर उन्हीं लोगों का इस्तेमाल अन्य दलों के वरिष्ठ नेताओं पर घटिया टिप्पणियां करने के लिए किया जाता है और उसके बाद फिर से नैतिकता की बातें की जाती हैं. यह ढोंग अब तो महाराष्ट्र की जनता को समझ में आ ही गया होगा, ऐसा मेरा मानना है. मैं तो मराठी जनता से ही पूछना चाहूंगा – ‘किसके हाथों में सौंप दिया है आपने महाराष्ट्र?’
Uddhav-Fadnavis News Live: जिस विधान भवन में कानून बनाए जाते हैं, उसी के दरवाजे पर कानून और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई गईं. हालांकि, इस घटना से कुछ घंटे पहले ही पुलिस ने विधानसभा अध्यक्ष को एक रिपोर्ट सौंपी थी. जितेंद्र आव्हाड के कार्यकर्ता और राष्ट्रवादी के पदाधिकारी नितिन देशमुख को पीटा गया. यह मारपीट गोपीचंद पडलकर के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई. इसके बाद पुलिस ने आव्हाड के कार्यकर्ता को गिरफ्तार कर लिया. वहीं, देर रात मारपीट करने वाले पडलकर के कार्यकर्ता को पुलिस ने हिरासत में लिया. इस घटना से कुछ घंटे पहले ही विधानमंडल की सुरक्षा व्यवस्था के लिए जिम्मेदार पुलिस ने सुरक्षा को लेकर एक रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को दी थी. इसमें विधानमंडल में कार्यकर्ताओं की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई गई थी