अमेरिका से पिछले सप्ताह एक खास विमान छोटे से अफ्रीकी देश इस्वातिनी पहुंचा. इस देश को पूर्व में स्वाजीलैंड के नाम से जाना जाता है. इस विमान में पांच विदेशी अपराधियों को यहां भेजा गया था, जिन पर हत्या और बच्चों के साथ बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के आरोप हैं. यह अवैध रूप से अमेरिका में आए थे. अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक, इनके देश उन्हें वापस लेने को तैयार नहीं, जिस कारण उन्हें ‘तीसरे देश’ के रूप में इस्वातिनी भेजा गया. 12 लाख की आबादी वाला यह छोटा-सा राष्ट्र वैश्विक बहस का केंद्र बन गया है. इसके अलावा इस्वातिनी में भी लोग विरोध कर रहे हैं.
इन पांच लोगों में वियतनाम, क्यूबा, जमैका, यमन और लाओस के नागरिक शामिल हैं. अमेरिका ने इन्हें ‘अत्यधिक बर्बर अपराधी’ करार दिया और ट्रंप प्रशासन की तीसरे देश में निर्वासन नीति के तहत उन्हें इस्वातिनी भेजा गया. इस नीति का मकसद है ऐसे अपराधियों को उनके मूल देश न लौटाएं तो उन्हें किसी तीसरे ‘सुरक्षित’ देश में भेज दिया जाए. इस्वातिनी सरकार के अनुसार, ये सभी पांचों अब देश की एक अज्ञात जेल में अलगाव में रखे गए हैं. स्थानीय मीडिया का दावा है कि उन्हें मात्साफा सुधार केंद्र, जो राजधानी मबाबाने के बाहर स्थित है, में रखा गया है. यही देश की सबसे सुरक्षित जेल मानी जाती है. सरकार ने सुरक्षा कारणों से जेल का नाम सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि यह कदम स्थानीय जनता के गुस्से को शांत करने के लिए भी उठाया गया है.
इस्वातिनी की जनता में गुस्सा क्यों?
इस्वातिनी की जनता और विपक्षी दलों ने इस फैसले का तीखा विरोध किया है. विपक्षी पार्टी PUDEMO ने कहा- ‘हमारा देश कोई कबाड़खाना नहीं है कि जहां दूसरे देश अपने असामाजिक तत्वों को फेंक दें. हमारे समाज पहले ही बेरोजगारी और स्वास्थ्य संकटों से जूझ रहे हैं.’ देश के कुछ प्रमुख नेताओं ने यह भी सवाल उठाया है कि इस गुप्त समझौते के पीछे अमेरिका ने क्या सौदेबाजी की, क्योंकि इस्वातिनी जैसे छोटे देश के लिए ऐसे उच्च स्तरीय समझौते सामान्य नहीं होते.
यूएन की प्रवासन संस्था IOM ने साफ कहा है कि उन्हें इस ऑपरेशन की कोई जानकारी नहीं थी और उनसे कोई संपर्क नहीं किया गया. हालांकि, अगर संपर्क किया गया तो वे मानवीय दृष्टिकोण से मदद करने को तैयार हैं. अमेरिका की यह ‘तीसरे देश’ वाली निर्वासन नीति पहले ही विवादों में रही है. इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत सैकड़ों वेनेजुएलावासियों को कोस्टा रिका, पनामा, और अब दक्षिण सूडान भेजा गया. इनमें से कई लोगों को पहले अफ्रीकी देश जिबूती के एक सैन्य बेस पर कंटेनर में रखा गया था.