पहलगाम हमले के आतंकियों को पनाह देने वाला 2 आरोपी पकड़ा गया

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को पहलगाम आतंकी हमले के मामले में बड़ी सफलता मिली है. एजेंसी ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जो पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-त

Jun 22, 2025 - 09:03
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पहलगाम हमले के आतंकियों को पनाह देने वाला 2 आरोपी पकड़ा गया
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को पहलगाम आतंकी हमले के मामले में बड़ी सफलता मिली है. एजेंसी ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जो पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आतंकियों को पनाह देने में शामिल थे. आतंकी हमले से पहले इन आतंकियों को पूरी योजना के साथ पनाह दी गई थी. हमला धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया था, जिससे यह हमला और भी निर्मम और दर्दनाक माना जा रहा है. गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम परवेज़ अहमद जोठर (बाटकोट, पहलगाम) और बशीर अहमद जोठर (हिल पार्क, पहलगाम) हैं. एनआईए की जांच में सामने आया है कि इन दोनों ने तीन हथियारबंद आतंकियों को हमला करने से पहले अपने इलाके में एक अस्थायी झोपड़ी (ढोक) में ठहराया, खाना खिलाया और जरूरी सामान मुहैया कराया. बताते चलें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले को दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या करने वाले चार आतंकी अब तक सुरक्षाबलों की पकड़ से बाहर हैं. इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था, और भारत ने जवाब में 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया. फिर भी, मुख्य अपराधियों की गिरफ्तारी में देरी ने कई सवाल खड़े किए हैं. सुरक्षाबल किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, और इस हमले के बाद अब तक क्या हुआ, आइए जानते हैं. पहलगाम हमले का घटनाक्रम 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की. हमलावरों ने धर्म पूछकर हिंदुओं को निशाना बनाया, जिसमें 26 लोग मारे गए और 17 घायल हुए. हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा और द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली. भारत ने तुरंत इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद करार दिया. 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की यात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली में सुरक्षा समीक्षा बैठक की. कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) ने पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई का फैसला किया. 24 अप्रैल को पीएम मोदी ने बिहार के मधुबनी में कहा कि हमलावरों को "कल्पना से परे सजा" दी जाएगी. गिरफ्तारी में देरी के क्या हैं कारण राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 27 अप्रैल को मामले की जांच अपने हाथ में ली, लेकिन दो महीने बाद भी चार मुख्य आतंकी फरार हैं. सुरक्षाबलों के सामने हैं कई चुनौतियां पहलगाम का पहाड़ी इलाका और घने जंगल आतंकियों के छिपने के लिए अनुकूल हैं. खुफिया जानकारी की कमी के कारण भी हमलवार अब तक बच रहे हैं. माना जाता है कि हमलावर पीओके में छिपे हो सकते हैं, जहां पाकिस्तानी सेना की मौन सहमति से उन्हें संरक्षण मिल रहा है. लश्कर और TRF का स्थानीय समर्थन और स्लीपर सेल नेटवर्क जांच को जटिल बना रहा है.
Bhaskardoot Digital Desk www.bhaskardoot.com