बैंक में पैसा रखना अब नहीं रहा सेफ, RBI ने जारी की डराने वाली रिपोर्ट,बैंक धोखाधड़ी ₹36,014 करोड़ तक पहुंची

बैंकों में पैसा रखना अब बिलकुल असुरक्षित हो चला है. बैंकों में रखी रकम को कर्ज के तौर पर लोगों को दिया जाता है लेकिन हर बीतते साल में देखा जा रहा है क

May 29, 2025 - 08:15
May 29, 2025 - 08:15
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बैंक में पैसा रखना अब नहीं रहा सेफ, RBI ने जारी की डराने वाली रिपोर्ट,बैंक धोखाधड़ी ₹36,014 करोड़ तक पहुंची
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बैंकों में पैसा रखना अब बिलकुल असुरक्षित हो चला है. बैंकों में रखी रकम को कर्ज के तौर पर लोगों को दिया जाता है लेकिन हर बीतते साल में देखा जा रहा है कि धोखाधड़ी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में किसी का पैसा भी वहां सुरक्षित नहीं दिख रहा है. ताजा मामला यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकिंग सेक्टर में वित्त वर्ष 2024-25 धोखाधड़ी की रकम ₹36,014 करोड़ तक पहुंच गई, जो पिछले साल ₹12,230 करोड़ थी. यह 194% यानी लगभग तीन गुना की भारी बढ़ोतरी है. हालांकि, धोखाधड़ी के मामलों की संख्या इस बार घटी है, लेकिन जिन मामलों में रकम शामिल है, वे कहीं अधिक बड़े और गंभीर हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 2023-24 में जहां कुल 36,060 बैंक फ्रॉड केस सामने आए थे, वहीं 2024-25 में यह संख्या घटकर 23,953 रह गई. लेकिन इन कम मामलों में भी रकम तीन गुना से ज्यादा हो गई, जिससे बैंकिंग सिस्टम की आंतरिक कमजोरियों और निगरानी तंत्र पर सवाल उठते हैं. RBI के मुताबिक, इस उछाल के पीछे एक बड़ा कारण यह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुराने मामलों की दोबारा समीक्षा की गई और उन्हें नई रिपोर्टिंग के तहत शामिल किया गया. इन दोबारा दर्ज मामलों की संख्या 122 रही और उनकी कुल राशि ₹18,674 करोड़ थी. यानी आधी से ज़्यादा रकम पुराने मामलों की दोबारा रिपोर्टिंग से जुड़ी हुई है. किस बैंकिंग सेक्टर में कितनी धोखाधड़ी? सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks) ने ₹25,667 करोड़ की धोखाधड़ी रिपोर्ट की, जो पिछले साल के ₹9,254 करोड़ से तीन गुना ज़्यादा है. प्राइवेट बैंक धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में आगे रहे—उन्होंने कुल 14,233 मामले दर्ज किए, जबकि पब्लिक बैंकों ने 6,935 केस दर्ज किए. कुल मामलों में से 59.42% सिर्फ प्राइवेट बैंकों से जुड़े हैं, लेकिन रकम के लिहाज़ से सबसे बड़ा योगदान पब्लिक बैंकों का ही है. किस तरह की धोखाधड़ी ज्यादा हुई? 2024-25 में कुल ₹33,148 करोड़ की धोखाधड़ी लोन (Advances) से जुड़े मामलों में हुई, जो पिछले साल ₹10,072 करोड़ थी. यानी लोन पोर्टफोलियो में फ्रॉड सबसे गंभीर रहा. इसके उलट, डिजिटल लेन-देन (कार्ड और इंटरनेट फ्रॉड) से जुड़े मामलों में कमी आई. 2023-24 में ऐसे फ्रॉड ₹1,457 करोड़ के थे, जो इस साल घटकर ₹520 करोड़ रह गए. हालांकि संख्या के लिहाज से सबसे ज्यादा केस डिजिटल धोखाधड़ी के ही रहे—2024-25 में ऐसे 13,516 केस दर्ज हुए, जबकि पिछले साल यह संख्या 29,082 थी. यह साफ दिखाता है कि डिजिटल सिस्टम अब पहले से बेहतर सुरक्षा देने लगा है, लेकिन लोन देने की प्रक्रिया में अभी भी कई खामियां हैं. सुप्रीम कोर्ट का असर RBI ने रिपोर्ट में यह भी बताया कि 31 मार्च 2025 तक बैंकों ने 783 मामलों को वापस ले लिया, जिनकी कुल राशि ₹1.12 लाख करोड़ थी. इन मामलों में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया था, इसीलिए सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2023 के फैसले के बाद उन्हें हटाया गया. इस फैसले के बाद पुराने मामलों की दोबारा जांच और क्लासिफिकेशन हुआ, जिससे फ्रॉड के आंकड़ों में तेज बढ़ोतरी देखने को मिली. RBI की नई रणनीति और भविष्य की तैयारी RBI अब बैंकों की लिक्विडिटी स्ट्रेस टेस्टिंग को और मजबूत बनाने की योजना बना रहा है. इसके तहत बैंक के नकद प्रवाह (Cash Flow) की विश्लेषणात्मक जांच होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संकट के समय में बैंक अपनी वित्तीय जिम्मेदारियां निभा सकें. साथ ही, डिजिटल सेवाओं की ऑपरेशनल रेजिलिएंस को बेहतर बनाने के लिए एक नया ढांचा लाया जाएगा. यह ढांचा बैंकों के डिजिटल चैनलों की क्षमता को परखेगा कि वे तकनीकी दिक्कतों या साइबर हमलों के समय कैसे काम करते हैं. इसके अलावा एक डायनामिक डैशबोर्ड भी तैयार किया जाएगा, जो ग्राहकों को उनके बैंक की डिजिटल सेवा की रियल टाइम जानकारी देगा.
Bhaskardoot Digital Desk www.bhaskardoot.com