चीन में जीरो से नीचे कंज्यूमर इनफ्लेशन, इतना गिर जाए महंगाई तो क्या होता है....लोगों के लिए अच्छा या बुरा

चीन की उपभोक्ता महंगाई दर (CPI) 13 महीनों में पहली बार शून्य से नीचे चली गई है. इससे पता चलता है कि चीन की अर्थव्‍यवस्‍था में मंदी जारी है और डिफ्लेशन

Mar 9, 2025 - 01:21
Mar 9, 2025 - 01:21
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चीन में जीरो से नीचे कंज्यूमर इनफ्लेशन, इतना गिर जाए महंगाई तो क्या होता है....लोगों के लिए अच्छा या बुरा
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चीन की उपभोक्ता महंगाई दर (CPI) 13 महीनों में पहली बार शून्य से नीचे चली गई है. इससे पता चलता है कि चीन की अर्थव्‍यवस्‍था में मंदी जारी है और डिफ्लेशन यानी अपस्‍फीति का दबाव बना हुआ है. रविवार को जारी राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (NBS) के आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) सालाना आधार पर 0.7% घटा, जबकि जनवरी में यह 0.5% की वृद्धि पर था. ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया था कि CPI में 0.4% की गिरावट आएगी, लेकिन वास्तविक गिरावट अधिक रही है. कंज्‍यूमर इन्‍फलेशन का शून्‍य से नीचे जाना किसी भी देश के लिए शुभ संकेत नहीं है. अपस्फीति अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. इससे उपभोक्ता खर्च में कमी, ऋण बोझ में वृद्धि और उच्च बेरोजगारी जैसी समस्‍याएं खड़ी हो जाती हैं. चीन ने 2025 के लिए महंगाई लक्ष्य 2% तय किया है, जो पिछले 3% लक्ष्य से कम है. यह दर्शाता है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था डिफ्लेशन के दबाव से जूझ रही है. पिछले दो वर्षों से उपभोक्ता महंगाई दर सिर्फ 0.2% बनी हुई है, जो अर्थव्यवस्था में मांग की भारी कमी को दिखाता है. चीन में फैक्ट्री स्तर पर महंगाई भी लगातार 29वें महीने गिरावट में रही. हालांकि, प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (PPI) की गिरावट जनवरी के -2.3% से घटकर फरवरी में -2.2% पर आ गई, जो दर्शाता है कि गिरावट की गति थोड़ी धीमी हुई है. क्‍यों आई डिफ्लेशन विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट की एक बड़ी वजह पिछले साल का उच्च आधार प्रभाव हो सकता है. 2024 में लूनर न्यू ईयर फरवरी में था, जिससे उस समय खर्च और कीमतों में उछाल आया था. जबकि इस साल यह 28 जनवरी से 4 फरवरी के बीच आया, जिससे फरवरी के महंगाई आंकड़ों में गिरावट दिखी. मार्च में साफ होगी तस्वीर विश्लेषकों के अनुसार, चीन की महंगाई दर को लेकर मार्च में अधिक स्पष्टता मिलेगी क्योंकि निवेशक यह देखना चाहेंगे कि सरकार के प्रोत्साहन उपाय (stimulus policies) घरेलू मांग को कितना बढ़ा रहे हैं. कमजोर उपभोक्ता खर्च और रियल एस्टेट संकट की वजह से चीन 1960 के दशक के बाद सबसे लंबे समय तक कीमतों में गिरावट के दौर से गुजर रहा है. डिफ्लेकशन के प्रभाव कीमतों में गिरावट: अपस्फीति की स्थिति में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें लगातार गिरती हैं. उपभोक्ता कीमतें कम होने की उम्‍म्‍ीद में खरीदारी को टालने लगते हैं. मांग में कमी: कीमतों में गिरावट के कारण उपभोक्ता खरीदारी टालते हैं, जिससे बाजार में मांग कम हो जाती है। यह उत्पादन को प्रभावित करता है और विनिर्माण सुविधाओं को विकास परियोजनाओं में निवेश करने से रोकता है. निवेश में गिरावट: मांग में कमी के कारण निवेश भी कम हो जाता है, क्योंकि व्यवसायों को लगता है कि भविष्य में उनके उत्पादों की मांग कम रहेगी. बेरोजगारी में वृद्धि: अपस्फीति के कारण आर्थिक गतिविधियों में कमी आती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ जाती है. कम मांग और उत्पादन के कारण व्यवसायों को कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ती है.
Bhaskardoot Digital Desk www.bhaskardoot.com