अपने पति को मारकर नीले ड्रम में भरने के इल्जाम में मेरठ जिला जेल में बंद 28 साल की मुस्कान ने एक बेटी को जन्म दिया है. उसने बेटी को नाम दिया राधा… दुखद ये है कि राधा की आंखें किसी घर, अस्पताल या खुशियों भरे आंगन में में नहीं, बल्कि एक कठोर जेल की चार दीवारों के बीच खुलीं. अब अगले 6 साल तक यह ये जेल ही राधा का घर, उसका खेल का मैदान और उसकी पूरी छोटी सी दुनिया बनने वाली है. राधा कोई अपराधी नहीं, लेकिन इस नन्ही सी की जिंदगी को पहले 6 वसंत अपनी मां मुस्कान के साथ जेल में ही काटने होंगे, क्योंकि भारत के कानून के अनुसार किसी महिला कैदी के साथ जन्मे बच्चे को अधिकतम 6 साल तक ही जेल में रहने की अनुमति है. फिर बच्चा हमेशा के लिए जेल से बाहर भेज दिया जाता है, चाहे मां की सजा बाकी क्यों न रह जाए.. आइये इस बारे में कानूनी प्रावधान क्या-क्या है, विस्तार से समझते हैं.
दरअसल, भारत में किसी महिला कैदी के साथ जन्मे बच्चे के लिए नियम साफ और स्थायी हैं. यह कानून कई जगहों से आधारित हैं. जैसे जेल अधिनियम, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के दिशानिर्देश, सुप्रीम कोर्ट के आदेश और Model Prison Manual 2016.
जेल में पैदा बच्चा कितने साल तक मां के साथ रह सकता है?
इसका जवाब है कि भारत में बच्चा अधिकतम 6 वर्ष की आयु तक ही मां के साथ जेल में रह सकता है. यह सीमा Supreme Court Guidelines (R.D Upadhyay vs State of Andhra Pradesh 2006) और Model Prison Manual 2016 में तय है. यानि मुस्कान की बेटी राधा केवल 6 साल तक ही उसके साथ जिला जेल में रह सकती है.
नीले ड्रम वाली मुस्कान की बेटी राधा 6 साल तक जेल में क्यों रहेगी? उसे क्या सुविधाएं मिलेंगी, वगैरह.. कानून क्या कहता है
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