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क्या पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर और ISI ने पहलगाम आतंकी हमले के लिए उकसाया? अब गुनहगारों के गर्दन की नस टूटेगी

एक औरंगजेब मुगलिया सल्तनत का तानाशाह था जिसकी कब्र उखड़ते- उखड़ते बची. लेकिन चर्चा अभी भी जारी है. दूसरा मोहम्मद औरंगजेब आजकल वाशिंगटन में है. पाकिस्तान का वित्त मंत्री. आईएमएफ की बैठक में हिस्सा लेने गए हैं. दिवालिया होने का खतरा है. सात अरब डॉलर जिन शर्तों पर लोन लिया उसे पूरा करना है. कोई कसर न हो जाए, इसलिए आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक चीफ अजय बंगा से मिन्नते कर रहे हैं. ये हाल है पाकिस्तान का. कर्ज देने वालों का टोटा पड़ा है. उधर सबसे बड़ी भीख जिससे मिलती थी उस सउदी अरब ने अब हमारे साथ स्ट्रैटेजिक पार्टनशिप की ठानी है. डिफेंस से लेकर तेल-एलपीजी गैस पर दोस्ती गाढ़ी हो रही है. हमारे पीएम नरेंद्र मोदी तीसरी यात्रा पर जेद्दा में हैं. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को उन्होंने भाई कहा तो जेद्दा के आसमान में सऊदी ने मोदी की आगवानी के लिए जेट भेज दिए. इन सबसे पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है. उधर डोनाल्ड ट्रंप की टोली इस्लामी जेहादियों को निशाना बना रही है. एलन मस्क ने तो पाकिस्तानी ग्रूमिंग गैंग की खौफानक सच्चाई सामने लाकर यूरोप को भी चेता दिया. फिर भी पाकिस्तान चेत नहीं रहा. आज यानी 22 अप्रैल को हमारे जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ है.

जनरल मुनीर ने उकसाया
इन बुजदिल आतंकियों ने निहत्थे सैलानियों पर गोलियां चलाई हैं. ये हमला आतंकियों के ताबूत की आखिरी कील साबित हो सकती है. लेकिन मैं पाकिस्तान के मौजूदा हालात से ही इस हमले को जोड़ना चाहता हूं जिसका जिक्र ऊपर किया है. इस हमले की जिम्मेदारी भले ही The Resistance Front (टीआरएफ) ने ली हो लेकिन ये है तो लश्कर-ए-तैयबा का यार ही जो पाकिस्तान में बैठे आकाओं से गाइड होता है. ये अगर सच्चाई है तो पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर की तरफ ध्यान जाना लाजिमी है. इस बौखलाए आर्मी चीफ ने हाल ही में जो तकरीर दी उससे साफ शक होता है कि उसके इशारों पर बुजदिलों ने ही ये कायराना हमला कराया है.

लोकतंत्र को मजाक बनाने वाली पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर की वो तकरीर इस्लामाबाद में हुई थी. यह्या खान की तरह एक हताश जनरल की तरह.मौका था विदेश में रहने वाले पाकिस्तानियों से संवाद का. जैसे यह्या ने 1971 में कहा था कि ईस्ट पाकिस्तान वाले माइनॉरिटी नहीं हैं, वो तो बहुसंख्यक हैं, फिर हमसे कैसे अलग हो सकते हैं. और हुआ क्या, ये दोहराने की जरूरत नहीं है. बांग्लादेश कैसे बना, इन पाकिस्तानियों ने कैसे बांग्लाभाषी मुसलमानों पर जुल्म ढाए, ये दोहराने की जरूरत नहीं है. अब आसिम मुनीर ने भी चीख-चीख कर दोहराया – आपको पाकिस्तान की कहानी अपने बच्चों को जरूर सुनानी है. हम हिंदुओं से अलग है. धर्म अलग है, संस्कृति अलग है, इसलिए टू नेशन थियरी आई. हमने इस देश के लिए कुर्बानी दी है. कलमे की बुनियाद पर दो ही रियासत बनी – मदीना और पाकिस्तान. वो बहुत क्लियरली सुना रहे थे बलूचियों को- 1500 इकट्ठे होकर क्या बलूचिस्तान छीन लेंगे. बलूचिस्तान तुम्हारे माथे का झूमर है. भारत से डरे मुनीर ने कहा कि 13 लाख की आर्मी से नहीं डरते तो क्या हम कुछ आतंकियों से डरेंगे. खैर, ट्रेन हाइजैकिंग और हाल ही में मारे काटे जा रहे जवानों का दर्द उनकी आवाज में था. झूमर झुकने जो लगा है. इसके बाद जनरल मुनीर कश्मीर पर आते हैं. कहता है – कश्मीर हमारी गर्दन की नस है और हम इसे भूलेंगे नहीं. हमने तीन जंग लड़े हैं…

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