रॉबर्ट वाड्रा, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति और गांधी परिवार के दामाद, एक बार फिर सुर्खियों में हैं. मंगलवार को सुबह 11 बजे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें हरियाणा के शिखोपुर जमीन सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दूसरी बार समन भेजा. हैरानी की बात यह रही कि वाड्रा यह समन मिलने पर अपने घर से ईडी दफ्तर पैदल ही पहुंच गए. इस कदम को कई लोग उनके साहसिक तेवर और संभावित राजनीतिक एंट्री का संकेत मान रहे हैं.
ईडी ने वाड्रा को 8 अप्रैल को पहला समन भेजा था, लेकिन तब वह पेश नहीं हुए. इस बार, उन्होंने न केवल समन का जवाब दिया, बल्कि पैदल दफ्तर पहुंचकर एक सशक्त संदेश दिया. वाड्रा ने कहा, ‘मुझे कुछ छिपाने की जरूरत नहीं. जब भी मैं लोगों की आवाज़ उठाऊंगा, ये लोग मुझे दबाने की कोशिश करेंगे, लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं.’
ईडी दफ्तर तक पैदल मार्च की क्या है वजह?
वहीं ईडी दफ्तर तक पैदल ही जाने को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा, ‘जब मैं लोगों की बात करता हूं… लोग चाहते हैं कि मैं राजनीति में आऊं तो लोग जुटेंगे… लोग चाहते थे कि मैं पैदल आऊं… उनको रोक दिया गया… केस में कुछ है ही नहीं, जांच में 20 साल थोड़ी ना लगेंगे.’
पॉलिटिक्स में एंट्री का संकेत
वाड्रा इससे पहले भी कई बार राजनीति में एंट्री की साफ मंशा जता चुके हैं. उन्होंने कहा था, ‘अगर कांग्रेस और मेरे परिवार का आशीर्वाद मिला, तो मैं राजनीति में कदम रखूंगा.’ यह बयान ऐसे समय आया है, जब उनकी पत्नी प्रियंका गांधी वायनाड से सांसद बन चुकी हैं, और कांग्रेस में उनकी भूमिका बढ़ रही है. वाड्रा ने यह भी कहा कि विपक्षी दल अक्सर चुनावों के दौरान उनके नाम का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उन्हें लगता है कि उनकी राजनीति में मौजूदगी पहले से ही महसूस की जा रही है.
उनके इस कदम को एक तरह का प्रतीकात्मक प्रदर्शन माना जा रहा है. जानकारों का मानना है कि वाड्रा का यह रवैया उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को दर्शाता है. अमेठी और वायनाड में पहले भी उनके चुनाव लड़ने की अटकलें लग चुकी हैं. हालांकि, जमीन सौदे से जुड़े इस मामले ने उनकी छवि को प्रभावित किया है. ईडी का आरोप है कि वाड्रा की कंपनी, स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 2008 में शिखोपुर में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी, जिसमें वित्तीय अनियमितताएं थीं.