मंत्रालय में आज विष्णुदेव कैबिनेट की बैठक हो रही है। इस बैठक से कर्मचारियों को ट्रांसफर से बैन खोलने की उम्मीद जाग उठी है। हालांकि, ये कोई नहीं बता रहा कि आज के एजेंडा में ट्रांसफर का बैन मुद्दा है या नहीं। मगर कर्मचारियों और शिक्षकों के ग्रुपों में सुबह से पोस्ट डाला जा रहा कि ट्रांसफर से बैन पर फैसला हो सकता है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ में दो दशक से कर्मचारियों, अधिकारियों के ट्रांसफर पर बैन लगा है। बीच-बीच में छिटपुट जो ट्रांसफर होते हैं, वो समन्वय के अनुमोदन से होते हैं। समन्वय मतलब मुख्यमंत्री के विशेष अनुमोदन से। विभागों के जरिये फाइल चीफ सिकरेट्री से होते हुए मुख्यमंत्री तक जाती है, फिर वहां से जरूरत के हिसाब से सीएम उस पर मुहर लगाते हैं।
ट्रांसफर बैन खुलने की चर्चा क्यों? ट्रांसफर पर से बैन समाप्त करने की वजह यह है कि दो साल से बैन नही खुला है। सरकारें बीच-बीच में एक से दो बार बैन खोलती है। उसमें महीने भर के लिए छूट देते हुए मंत्रियों को ट्रांसफर करने का पावर दिया जाता है। छत्तीसगढ़ में 2022 में भूपेश बघेल सरकार ने एक महीने के लिए बैन हटाया था। इसके बाद 2023 में विधानसभा चुनाव को देखते सरकार ने बैन नहीं हटाया कि तबादला उद्योग चालू होने से कहीं नुकसान न हो जाए। जाहिर है, जब भी बैन खुलता है सरकारों की बड़ी छीछालेदर होती है। सारे विभागों में बड़े स्तर पर लेनदेन के जरिये ट्रांसफर किए जाते हैं। इससे सरकारों की छबि पर आंच आती है। बहरहाल, दिसंबर 2023 में सरकार बदली तो बीजेपी की नई सरकार ने 2024 में भी बैन नहीं खोला। असल में, पिछले साल लोकसभा चुनाव भी रहा। जुलाई चुनाव में ही निकल गया।
बैन खुलने की वजह विष्णुदेव सरकार के लिए ट्रांसफर पर से प्रतिबंध हटाने के लिए साल 2025 और 2026 सबसे उपयुक्त समय है। क्योंकि, 2028 में विधानसभा चुनाव है। 2027 में अगर बैन खोलेंगे तो उसकी अराजकता का असर अगले साल तक रहता है। ऐसे में, राज्य सरकार की कोशिश होगी कि कम-से-कम एक बार बैन हटाया जाए। इसके लिए बीजेपी पार्टी स्तर पर भी प्रेशर है। हालांकि, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले कई विभागों ने बड़े स्तर पर ट्रांसफर कर डाले, फिर भी पार्टी का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि तबादलों से प्रतिबंध हटाया जाए। उधर, कर्मचारियों का भी मानना है कि तबादले से रोक हटाई जाए।
कैबिनेट को पावर तबादले पर बैन हटाने का अधिकार कैबिनेट को है। इसके लिए जीएडी से कैबिनेट में प्रस्ताव आएगा। आज कैबिनेट की फोटो बाहर आई, उसमें जीएडी सिकरेट्री अविनाश चंपावत चीफ सिकरेट्री के बगल में बैठे हैं। आमतौर पर जिस विभाग का मुख्य मुद्दा होता है, उस विभाग के सचिव सामने बैठते हैं। फोटो को देखने के बाद कर्मचारियों के व्हाट्सएप गु्रपों में ट्रांसफर से बैन खुलने के पोस्ट तेज हो गए हैं। कर्मचारी नेताओं को पूरा यकीन है कि इस कैबिनेट में बैन नहीं खुला तो भी जल्द ही अगले कैबिनेट में इस मसले को लाया जा सकता है। याने उन्हें पक्का भरोसा है कि बैन खुलेगा।