छत्तीसगढ़ में 2100 करोड़ रुपये से अधिक के कथित शराब घोटाला में मामले में जांच एजेंसियों की कार्रवाई लगातार जारी है. केन्द्रीय एजेंसियों की जांच के बीच राज्य की एसीबी (ACB) व ईओडब्ल्यू (EOW) भी एक्शन मोड में है. ईओडब्ल्यू ने राज्य के बड़े कारोबारी विजय भाटिया को बीते 1 जून को दिल्ली से गिरफ्तार किया. कहा जा रहा है कि विजय अपने परिवार वालों के साथ ब्राजील जाने वाला था. इससे पहले ही उसे गिरफ्तार किया गया. फिर 2 जून रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पेश कर 7 दिन की ईओडब्ल्यू ने रिमांड मांगी, लेकिन 4 दिन की ही रिमांड मिली. अब 6 जून को विजय भाटिया को फिर से कोर्ट में पेश किया जाएगा.
गिरफ्तारी के बाद राजनीति का दौर
विजय भाटिया की गिरफ्तारी के बाद से ही प्रदेश की राजनीति में चर्चाओं का दौर है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि विजय की गिरफ्तारी को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके करीबियों के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है. क्योंकि विजय को पूर्व मुख्यमंत्री का करीबी बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि शराब घोटाले के सिंडिकेट में विजय भाटिया का किरदार अहम था. चर्चा है कि 4 दिन की पूछताछ के बाद ईओडब्ल्यू इस मामले में कुछ और लोगों पर कार्रवाई कर सकती है. हालांकि चर्चा सबसे ज्यादा इस बात की है कि इस मामले में विजय भाटिया की भूमिका क्या थी?
इस तरह हुई कमीशनखोरी?
जांच एजेंसियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार में पावरफुल लोगों ने एक सिंडिकेट बनाकर 2100 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले को अंजाम दिया. सूत्र बताते हैं कि इस सिंडिकेट में विजय भाटिया भी शामिल था. सिंडिकेट ने कमीशन में मोटी रकम कमाने के लिए राज्य की आबकारी नीति में ही परिवर्तन करवा दिया था. पुरानी नीति के तहत पहले छत्तीसगढ़ बेवरेज कॉर्पोरेशन विदेशी शराब कंपनियों से शराब खरीदती थी और फिर वो शराब दुकानों में सप्लाई करती थी.
कहा जा रहा है कि इससे सिंडिकेट को कमीशन नहीं मिल पाता था. इसलिए नीति में बदलाव कर एफएल-10 ए लाइसेंस लाया गया. नैक्सजेन पावर इंजीटेक, दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड और ओम साईं वेबरेज को एफएल-10 ए लाइसेंस दिया गया.
सूत्रों का कहना है कि विजय भाटिया ने अपने करीबी अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा के नाम पर ओम साईं वेबरेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई, लेकिन इस 52 फ़ीसदी हिस्सेदारी खुद रखी. यह कंपनी विदेशी कंपनी से शराब खरीदती थी और इसमें 10 प्रतिशत कमीशन जोड़कर सरकार को शराब की सप्लाई करती थी. इस 10 प्रतिशत कमीशन का 60 प्रतिशत हिस्सा सिंडिकेट और 40 प्रतिशत हिस्सा विजय और उससे जुड़े लोगों को मिलता था. कहा जा रहा है कि इस खेल से विजय ने 4 साल में 15 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की. हालांकि मामले में अभी जांच जारी है.
कई हाई प्रोफाइल लोग गिरफ्तार
बता दें कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला मामले में कई हाई प्रोफाइल लोग जेल में हैं. इनमें तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, तत्कालीन आबकारी सचिव अरुण पति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर शामिल हैं. अब विजय भाटिया की गिरफ्तारी के बाद मामले में नए खुलासे और कुछ अन्य हाई प्रोफाइल लोगों पर एक्शन की चर्चा है. कहा जा रहा है कि कबाड़ी से जुड़े एक बड़े कारोबारी पर भी एक्शन लिया जा सकता है.