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दुनिया पर फिर से टैरिफ का चाबुक चला सकेंगे डोनाल्ड ट्रंप, असंवैधानिक बताने वाला फैसला पलट गया, अदालत में घमासान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सबसे बड़ी ताकत टैरिफ रही है. एक ओर डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि वो देश की अर्थव्यवस्था को ‘फैक्टरी फर्स्ट’ मॉडल पर ले जाना चाहते हैं, दूसरी ओर अदालतों में उनकी टैरिफ नीति को लेकर घमासान मचा हुआ है. बुधवार की रात कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड (CIT) ने ट्रंप के टैरिफ लगाने के फैसले को असंवैधानिक ठहरा दिया था, लेकिन महज 24 घंटे बाद ही अपील अदालत ने इस आदेश पर रोक लगा दी. अब हालात ये हैं कि ट्रंप फिर से इमरजेंसी पावर्स का इस्तेमाल कर टैरिफ लागू कर सकते हैं, लेकिन ये लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई. अगली सुनवाई और सुप्रीम कोर्ट की संभावित दखलअंदाजी से यह कानूनी जंग और भी गरमा सकती है.

क्या है पूरा मामला?
बुधवार को कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने स्पष्ट कहा कि ट्रंप का टैरिफ लगाने का फैसला इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के तहत वैध नहीं है. इस फैसले के बाद वाइट हाउस में हलचल मच गई और महज कुछ घंटों में ट्रंप प्रशासन ने इस फैसले को चुनौती दे दी.

ट्रंप का हमला और चेतावनी
ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर लंबी पोस्ट डालते हुए फैसले को ‘अमेरिका के खिलाफ फैसला’ करार दिया और सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने सवाल उठाया कि ‘क्या इन जजों को सिर्फ ट्रंप से नफरत है?’

व्हाइट हाउस का रुख

प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने भी कोर्ट के तीन जजों को ‘एक्टिविस्ट’ बताकर निशाना साधा और कहा कि यह न्यायिक शक्ति का दुरुपयोग है. उन्होंने दावा किया कि यह ट्रंप की राष्ट्रपति शक्तियों को ‘कमजोर’ करने की साजिश है.

प्रभावित कंपनियों की प्रतिक्रिया

जिन कंपनियों ने टैरिफ के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, उन्होंने अपील अदालत के स्टे को ‘सिर्फ एक प्रक्रिया’ बताया और भरोसा जताया कि अदालत आखिरकार उनके पक्ष में फैसला सुनाएगी.