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बसवराजू को ढेर करने वाले जवान क्यों कहे जाते हैं नक्सलियों का काल ? जानिए कैसे तैयार होते हैं DRG जवान

छत्तीसगढ़ पुलिस के डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड यानी कि डीआरजी के सिर पर सबसे बड़ी सफलता का तिलक लगा है. इसके जवानों ने नक्सलियों के सेनापति बसवराजू को अबूझमाड़ के जंगलों में उसके सेफ हाउस में मार गिराया है. इसके साथ ही मारे गए 28 हार्डकोर नक्सली. ऐसे में चर्चा हो रही है कि आखिर डीआरजी है क्या, ये किस तरह काम करती है? हमने ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की है इस रिपोर्ट में

साल 2015 के बाद से अब तक छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में सैकड़ों नक्सली ढेर हो चुके हैं…जिसमें बसवराजू जैसे सुप्रीम नक्सल लीडर भी शामिल हैं. नाम…जगह और लोग अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन इन सारे एनकाउंटर में एक चीज कॉमन है. वो है DRG यानि डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड. ये जंगल में नक्सलियों के काल हैं. ये छत्तीसगढ़ की सबसे घातक फोर्स है. साल 2015 में इसका गठन हुआ और उसके बाद से ही ये टीम नक्सलियों की नींद उड़ा रही है.बीते दिनों अबूझमाड़ में हुए सबसे बड़े एनकाउंटर ने साबित कर दिया कि नक्सलियों को मौत की नींद कोई सुला सकता है तो वो है DRG. ऐसे में सवाल उठता है कि डीआरजी है क्या, ये किस तरह काम करती है, डीआरजी किस रणनीति पर काम करती है? हमने ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश इस रिपोर्ट में की है.

नक्सलियों में पुलिस की DRG टीम का ऐसा खौफ है कि उनके नाम से ही लाल आतंक की रीढ़ कांप उठती है. इसकी ताज़ा बानगी मिली है अबूझमाड़ के जंगलों में जब 10 करोड़ रुपये का इनामी नक्सली बसवराजू पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. उसके डेरे से बरामद हुई एक लाल डायरी बता रही है कि डीआरजी की दहशत नक्सली संगठन के अंदर तक पसरी हुई है. खुद बसवराजू ने अपनी डायरी में लाल रंग की स्याही से लिखा है