कोरबा (छत्तीसगढ़)। वर्ष 2009 में बालको प्लांट में हुए दर्दनाक चिमनी हादसे को लेकर अब नए सवाल खड़े हो रहे हैं। हादसे में 40 मजदूरों की जान गई थी, लेकिन पुलिस जांच और प्रशासनिक लापरवाही को लेकर कोर्ट में गंभीर बहस छिड़ गई है। सुनवाई के दौरान अदालत ने पुलिस की जांच पर कड़ी टिप्पणी करते हुए पूछा कि आखिर 250 मीटर ऊंची चिमनी के निर्माण को नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (TCP) विभाग ने कैसे अनदेखा कर दिया?
अब सवाल उठता है कि जब इतनी ऊंची चिमनी बनाई जा रही थी, तो क्या नगर निगम और TCP विभाग इस पूरे मामले से अनजान थे? या फिर जानबूझकर इसे नजरअंदाज किया गया? क्या इस हादसे के पीछे कोई बड़ा भ्रष्टाचार छिपा हुआ है? अदालत में हुई सुनवाई से इन सभी सवालों पर बहस तेज हो गई है और अब पुलिस की भूमिका पूरी तरह संदेह के घेरे में आ गई है।
23 सितंबर 2009 को बालको प्लांट में निर्माणाधीन चिमनी गिरने से 40 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी। हादसे की जांच में बालको प्रबंधन को पूरी तरह बचाने का आरोप लग रहा है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह खुलासा हुआ कि पुलिस ने SEPCO, GDCL और अन्य ठेका कंपनियों को तो आरोपी बनाया, लेकिन बालको के किसी भी शीर्ष अधिकारी पर मुकदमा दर्ज नहीं किया। जब अदालत ने पुलिस से पूछा कि BALCO के चेयरमैन का नाम क्या है, तो विवेचक ने चौंकाने वाला जवाब दिया – “हमें नहीं पता!”
इतनी ऊंची चिमनी बनाने के लिए नियमानुसार नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (TCP) विभाग से स्वीकृति लेनी होती है, लेकिन इस मामले में दोनों ही विभागों ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया।
तो क्या इन विभागों ने जानबूझकर इस निर्माण को नजरअंदाज किया या फिर कोई बड़ा भ्रष्टाचार हुआ?
अब आगे क्या?
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पुलिस को BALCO प्रबंधन पर भी जांच करनी होगी।
अगर लापरवाही साबित हुई, तो BALCO के CEO समेत वरिष्ठ अधिकारियों पर केस दर्ज हो सकता है।
नगर निगम और TCP विभाग के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो सकती है।