छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 5 मई को पाली ब्लॉक के मदनपुर में हुए सुशासन तिहार में स्पष्ट शब्दों में कहा था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर अगर कोई एक रुपया भी मांगे तो जिम्मेदारी जिले के कलेक्टर की होगी . ठीक 24 घंटे बाद गरियाबंद जिले के छुरा ब्लॉक के सोरिद खुर्द गांव से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने शासन की जमीन पर बैठे सिस्टम की जड़ें हिला दी है.
गांव के परमानंद निषाद नामक युवक ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री आवास के सर्वे में नाम जुड़वाने के लिए मेट, रोजगार सहायक और सरपंच की तिकड़ी 100 रुपये की फीस वसूल रही है. यह राशि आधार कार्ड और बैंक पासबुक की फोटोकॉपी के लिए मांगे जा रहे है. यह सब ‘डॉक्यूमेंटेशन चार्ज’ के नाम पर किया जा रहा है.
फोटोकॉपी कराने के नाम पर लिए जा रहे हैं 100 रुपये
इस बारे में जब परमानंद से फोन पर बात हुई, तो उन्होंने बताया कि उनके साथ-साथ गांव के अन्य युवकों से भी 100 रुपये लिया गया है. दिलचस्प बात ये है कि जैसे ही मुख्यमंत्री का सख्त बयान वायरल हुआ, उसके बाद ही यह शिकायतें सामने आने लगीं. इस बारे में जब सरपंच चंद्रहास बारिया से फोन से संपर्क कर जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने भी परमानंद से हुई बात को दोहराया कि ₹100 फोटो और फोटोकॉपी कराने के लिए जा रहे हैं. मगर इसे कौन रखता है, यह उन्हें भी मालूम नहीं है.