पाकिस्तान से पहलगाम का इंतकाम कन्फर्म है. मगर कब और कैसे यह किसी को नहीं पता. आज नहीं तो कल पाकिस्तान और उसके टुकड़ों पर पलने वाले आतंकियों को पहलगाम अटैक का अंजाम भुगतना ही है. भारत अपने दुश्मनों को यूं ही नहीं छोड़ता. इसका सबूत पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक से देख चुका है. अब इंतकाम-ए-पहलगाम में मोदी सरकार के काम इंदिरा गांधी का शेर आएगा. वही शेर जो पिछले 25 सालों से अपने शिकार की तलाश में भूखा है. आखिरी बार उसने 1999 में पाक सैनिकों के रूप में अपना शिकार किया था.
जी हां, अगर पाकिस्तान पर भारत अटैक करता है तो इसमें मोदी सरकार के बाहुबली यानी राफेल के साथ इंदिरा का शेर यानी जगुआर भी होगा. वही जगुआर जो पाकिस्तान को आज से 25 साल पहले कारगिल के युद्ध में अपनी ताकत का एहसास करा चुका है. बहरहाल, पहलगाम अटैक के बाद भारत और पाक जंग के मुहाने पर हैं. कभी भी दोनों देशों के बीच जंग छिड़ सकती है. कंप्लीट जंग न भी हो मगर भारत बदला तो जरूर लेगा. ऐसे में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान जगुआर की भूमिका अहम होगी.
भारत का शमशेर जगुआर कितना खतरनाक
भारतीय वायुसेना का जगुआर मल्टी-रोल वाला लड़ाकू विमान है. यह हर तरह के मिशनों यानी ग्राउंड अटैक से लेकर एयर अटैक को अंजाम देने में माहिर है. जगुआर को भारतीय वायुसेना का शमशेर कहा जाता है. यह इंदिरा के जमाने यानी 1970 के दशक से वायुसेना का शान बना हुआ है. हालांकि, अब इससे भी खतरनाक लड़ाकू विमान भारत के पास हो गए हैं. मगर इसे भी समय-समय पर आधुनिक तकनीकों के साथ अपग्रेड किया गया है. भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति में जगुआर से एलओसी यानी नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों, तोपखाने, या आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया जा सकता है. लो-लेवल फ्लाइंग कैपेबिलिटी यानी कम ऊंचाई पर उड़ान की वजह से यह हमला करके वापस आ जाएगा, मगर पाकिस्तान का रडार इसे पकड़ भी नहीं पाएगा.