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195, 205 या 575 जैसे ऑड नंबरों में पेट्रोल खरीदना ठगी से बचाता है या सिर्फ भ्रम, क्‍या है इसकी सच्‍चाई

पेट्रोल पंप पर आपको अक्‍सर ऐसा देखने को मिलता है कि ज्‍यादातर वाहन चालक 195, 205 या 575 रुपये जैसी ऑड रकम में पेट्रोल या डीजल खरीदते हैं. बजाय कि 200, 300 या 600-700 रुपये में खरीदने के. मोटर चालकों का दावा है कि यह रणनीति उन्हें पेट्रोल पंप पर ठगी से बचाती है. अगर आप भी ऐसे ही नंबरों में तेल खरीदना पसंद करते हैं तो अगली बार ऐसा करने से पहले जरा इसकी सच्‍चाई जरूर जान लीजिए.

एक सर्वे में यहां तक दावा किया गया है कि कई वाहन चालकों का कहना है कि उन्हें पेट्रोल पंप पर ठगा गया है, जिसमें उन्हें भुगतान की गई रकम के मुकाबले कम पेट्रोल मिला है. सवाल यह है कि क्या अजीब रकम में पेट्रोल या डीजल खरीदना वास्तव में एक प्रभावी तरीका है या सिर्फ एक गलतफहमी? इस बारे में सच्‍चाई उजागर करने के लिए कुछ तथ्‍यों के साथ पूरी जानकारी दी जा रही है.

पेट्रोल पंप पर आमतौर पर 100, 200, 500 या 1,000 के लिए पहले से सेट कोड का उपयोग किया जाता है. ये कोड एक बटन दबाने से ही दर्ज हो जाते हैं, जिससे कर्मचारियों का समय और मेहनत बचता है. हालांकि, इससे कई वाहन चालकों को यह लग सकता है कि वे उपरोक्त राशि में पेट्रोल या डीजल कम मात्रा में प्राप्त कर रहे हैं, क्‍योंकि इसे मीटर में पहले ही सेट कर दिया गया है.

असल में पेट्रोल पंप एक फ्लो मीटर सिस्टम का उपयोग करते हैं. यह सिस्टम पेट्रोल या डीजल को लीटर में मापता है और सभी गणनाएं लीटर के आधार पर ही होती हैं. फ्यूल डिस्पेंसिंग मशीन का सॉफ्टवेयर लीटर को रुपये में बदलता है, जो सेट पेट्रोल या डीजल की दरों और डिस्पेंस की गई ईंधन की मात्रा पर आधारित होता है. लिहाजा आप तेल चाहे लीटर में खरीदें या रुपये में, यह सिस्‍टम उसका सही-सही कैलकुलेशन करता है.

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